shravan maas 2022:उज्जैन (नईदुनिया प्रतिनिधि)। पंचांगीय गणना के अनुसार 14 जुलाई से श्रावण मास का शुभारंभ हो रहा है। पूरे श्रावण मास में किसी भी दिन तिथि क्षय नहीं है। विशेष यह भी है कि एक माह में चार सर्वार्थसिद्धि तथा दो अमृत सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। श्रावण मास में आने वाले व्रत-त्योहार पर विशेष योग नक्षत्रों की साक्षी रहेगी। शिव आराधना के लिए यह सर्वश्रेष्ठ महीना बताया गया है।
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ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार शिव महापुराण, लिंग महापुराण में भगवान शिव की उपासना तथा उनके विभिन्ना स्वरूपों का अलग-अलग प्रकार से संकल्पित होकर उपासना करने का महत्व श्रावण मास में बताया गया है। मान्यता है कि श्रावण माह में भगवान शिव को जल, बिल्व पत्र, धतूरा तथा सफेद आंकड़े के पुष्प अर्पित करने से शिव प्रसन्ना होकर उत्तम फल प्रदान करते हैं।
अगर श्रावण माह पर्यंत भगवान का पंचामृत अभिषेक किया जाए तो भगवान की प्रसन्नाता शीघ्र फलदायी मानी जाती है। श्रावण मास में सोलह सोमवार के व्रत का आरंभ तथा उद्यापन दोनों ही किया जा सकता है। श्रावण में शिव महापुराण का पारायण करने से भी भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
श्रावण मास के विशेष पर्व
-18 जुलाई महाकाल की पहली सवारी
-24 जुलाई कामदा एकादशी
-25 जुलाई सोम प्रदोष के साथ महाकाल की दूसरी सवारी
-28 जुलाई हरियाली अमावस्या
-31 जुलाई संथारा तीज, हरियाली तीज
-2 अगस्त नागपंचमी
-8 अगस्त पवित्रा एकादशी
-11 अगस्त श्रावणी पूर्णिमा रक्षा बंधन
-12 अगस्त स्नान दान पूर्णिमा व हयग्रिव उत्पत्ति
अमृत व सर्वार्थसिद्धि योग कब-कब
-15 जुलाई : सर्वार्थसिद्धि योग सुबह 5:56 से शाम 6 बजे तक
-19 जुलाई : सर्वार्थसिद्धि योग सुबह 5.56 से दोपहर 12:15 बजे तक
-21 जुलाई : सर्वार्थसिद्धि योग सुबह 5:57 से दोपहर 2 बजे तक
-23 जुलाई : अमृतसिद्धि योग शाम 7 बजे से रात्रि पर्यंत
-25 जुलाई : अमृतसिद्धि योग सुबह 6 बजे से रात्रि पर्यंत
-3 अगस्त : सर्वार्थसिद्धि योग सुबह 6:12 बजे से शाम 6:28 बजे तक
महाकाल में उत्तम वृष्टि अनुष्ठान पर अनिश्चितता के बादल
योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में उत्तम वृष्टि के लिए होने वाले महारुद्राभिषेक अनुष्ठान पर अनिश्चितता के बादल छाए हैं। बताया जाता है अनुष्ठान की तारीख में परिवर्तन किया जा रहा है। मंदिर प्रशासन ने अब तक पांच दिवसीय अनुष्ठान के लिए दर्शन व्यवस्था भी तय नहीं की है। प्रबंध समिति की बैठक में 22 जून से अनुष्ठान का शुभारंभ करने का निर्णय लिया गया था, लेकिन अब तिथि में परिवर्तन करने की जानकारी मिल रही है। अनुष्ठान में बैठने वाले पंडितों की संख्या को लेकर भी मंथन जारी है। मंदिर प्रशासन व पुजारी, पुरोहित कुछ भी कहने को राजी नहीं है। अनुष्ठान के दौरान दर्शन व्यवस्था क्या रहेगी, अनुष्ठान की अवधि में श्रद्धालु 1500 रुपये की रसीद पर गर्भगृह में जाकर भगवान महाकाल का जलाभिषेक कर सकेंगे या नहीं आदि बातों को लेकर जानकारी नहीं दी जा रही है।