
नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। 10 महीने पहले तोड़ी गई तकिया मस्जिद को दोबारा बनवाने की अपील शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। कोर्ट ने प्रशासन के हक में फैसला सुनाया। ऐसे में अब चिह्नित जमीन पर प्रस्तावित महाकाल धर्मशाला, रोप-वे बोर्डिंग स्टेशन या मल्टीलेवल पार्किंग जैसी योजनाएं तेजी से आकार ले सकेंगी।
नगर निगम आयुक्त अभिलाष मिश्रा ने कहा कि अब कोई बाधा नहीं, शीघ्र ही प्रस्तावित योजनाएं धरातल पर आकार लेंगी। मालूम हो कि महाकाल मंदिर क्षेत्र के नवविस्तारित क्षेत्र श्रीमहाकाल महालोक परिसर में जनसुविधाएं बढ़ाने के लिए प्रशासन ने इसी वर्ष 11 जनवरी 2025 को शक्तिपथ से सटे बड़ा रुद्रसागर के सामने स्थित 2.135 हेक्टेयर जमीन- वहां बने 250 आवासों और तकिया मस्जिद को ढहाया था।
प्रभावित परिवारों को शासन ने 66 करोड़ रुपये मुआवजा दिया था। कोर्ट का स्टे होने से सात मकान तोड़ने से छोड़ दिए गए थे, जो अब भी हैं। मस्जिद की ओर से स्थानीय कोर्ट, फिर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में मस्जिद दोबारा बनाने की अपील लगाई गई मगर तीनों जगह से याचिका खारिज हुई। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि जिस जमीन का शासन-प्रशासन ने अधिग्रहण किया है, वह वक्फ की है। साथ ही भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को गलत बताया था।
महाकाल मंदिर परिसर का विस्तार एवं सुंदरीकरण परियोजना को आकार देने के लिए अब तक महाकाल, बेगमबाग, गणेश कालोनी, तकिया मस्जिद क्षेत्र में 500 से ज्यादा आवास तोड़कर जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है। मंदिर परिसर 2.87 हेक्टेयर से बढ़कर 47 हेक्टेयर के आसपास पहुंच गया है। वर्ष 2022 में श्रीमहाकाल महालोक के लोकार्पण के बाद से अब तक सात करोड़ पर्यटक उज्जैन आ चुके हैं, जिसकी वजह से उज्जैन में रोजगार के अवसर बढ़े, प्रति व्यक्ति आय बढ़ी और पूंजीगत निवेश के अवसर एवं अधोसरंचना विकास के कदम बढ़े हैं।