Mahakal Sawan Sawari: उज्जैन (नईदुनिया प्रतिनिधि)। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से श्रावण मास में सोमवार को भगवान महाकाल की चौथी सवारी निकली। अवंतिकानाथ चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश, गरुड़ रथ पर शिवतांडव तथा नंदी पर उमा महेश रूप में सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकले। भगवान महाकाल के चार रूपों के दर्शन कर भक्त निहाल हो गए।
करीब पांच किलो मीटर लंबे सवारी मार्ग पर तीन घंटे तक भक्ति का उल्लास छाया रहा। दोपहर 3.30 बजे मंदिर के सभा मंडप में कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम व जनप्रतिनिधियों ने भगवान महाकाल के चंद्रमौलेश्वर रूप का पूजन कर पालकी को नगर भ्रमण के लिए रवाना किया। मंदिर से शुरू होकर पालकी परंपरागत मार्गों से होकर शिप्रा तट पहुंची। यहां पुजारियों ने शिप्रा जल से भगवान महाकाल का अभिषेक कर पूजा अर्चना की।
पूजन पश्चात सवारी पुन: मंदिर की ओर रवाना हुई। चौथी सवारी में सुरक्षा व्यवस्था चाकचौबंद रही। प्रशासन काफी हद तक भीड़ नियंत्रण करने में सफल रहा। भजन मंडलियों में सदस्यों की संख्या सीमित रही। डीजे पर प्रतिबंध का भी पालन हुआ। हालांकि सभा मंडप में बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि पहुंचे।
श्रावण मास में सोमवार को भगवान महाकाल की चौथी सवारी निकाली गई। भक्तों को भगवान महाकाल के एक साथ चार रूपों के दर्शन हुए। अवंतिकानाथ चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश, गरुड़ रथ पर शिवतांडव और नंदी पर उमा महेश रूप में सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकले।
ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से शाम चार बजे शाही ठाठ-बाट के साथ सवारी शुरू हुई। कोट मोहल्ला, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए शाम 4.30 बजे पालकी शिप्रा तट पहुंची। यहां पुजारी शिप्रा जल से भगवान का अभिषेक कर पूजा-अर्चना की। पूजन पश्चात सवारी रामानुजकोट, कार्तिक चौक, ढाबारोड, टंकी चौराहा, गोपाल मंदिर पटनी बाजार होते हुए शाम सात बजे पुन: महाकाल मंदिर पहुंची।
सावन के चौथे सोमवार को भगवान ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का 251 लीटर पंचामृत से महाअभिषेक किया गया। वहीं भगवान ममलेश्वर का महाशृंगार हुआ। सावन सोमवार को भगवान ओंकारेश्वर और ममलेश्वर ने पालकी में विराजित होकर परंपरा अनुसार नगर भ्रमण और नौका विहार किया।