नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। अंकपात मार्ग स्थित श्री रामजनार्दन मंदिर परिसर स्थित श्री गोवर्धनधारी भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर झुक रहा है। जानकारों के अनुसार समीप स्थित विष्णु सागर के पानी से मिट्टी में कटाव हो रहा है, इससे मंदिर की नींव बैठ रही है और मंदिर झुकता जा रहा है। यही स्थिति रही तो कुछ वर्षों में 400 साल पुराना श्रीकृष्ण मंदिर धराशायी हो सकता है।
मध्य प्रदेश पुरातत्व विभाग द्वारा राम जनार्दन मंदिर को राज्य संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है। इस परिसर में स्थित प्राचीन मंदिर तथा मूर्तियों के रखरखाव व संरक्षण की जिम्मेदारी पुरातत्व विभाग की है। लेकिन जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
विभाग ने मंदिर के बाहर सूचना पट्ट लगाकर अपने दायित्वों की इतिश्री कर ली है। सूत्र बताते हैं, विभाग के अधिकारी कभी अवलोकन के लिए नहीं आते हैं। गोवर्धन सागर के पानी के कारण परिसर का एक हिस्सा धीरे-धीरे नीचे धंस रहा है। गोवर्धनधारी भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर भी इसका हिस्सा है।
विक्रम विश्वविद्यालय के पुराविद डा.रमण सोलंकी ने बताया गोवर्धनधारी भगवान श्रीकृष्ण की यह प्रतिमा एक हजार साल पुरानी है। मध्य भाग में त्रिभंग मुद्रा में अलंकृत कृष्ण प्रतिमा है। भगवान के सिर पर किरीट मुकुट, कर्ण पुष्प, अलंकृत कंठ हार, भुजबंद, वैजयंती माला, पैरों में नुपूर सज्जित है।
भगवान बाएं हाथ की हथेली पर गोवर्धन पर्वत उठाए दृष्टिगोचर होते हैं। गोवर्धन पर्वत को आयातकार दिखाया गया है। प्रतिमा के दक्षिण भाग में दो ग्वालों का अंकन है, जो गोवर्धन पर्वत उठाने में दंड का टेका लगाते दिखाई देते हैं।
इसके अलावा भगवान के लिए माखन मथते हुए गोपिका का अंकन अत्यंत सुंदर है। मूर्ति के पद पीठ पर देवनागरी लिपि में एक पंक्ति का अभिलेख है, जिस पर गोधर्वनधारी श्रीकृष्ण लिखा है।