Ujjain News: संवरने से पहले ही उजड़ गया गयाकोठा तीर्थ, ऋषि तलाई भी दुर्दशा की शिकार
खाकचौक स्थित गयाकोठा तीर्थ क्षेत्र का विकास तीन चरणों में कराने के लिए शासन ने साल- 2018 में 22 करोड़ 50 लाख रुपये की परियोजना स्वीकृत की थी।
By Hemant Kumar Upadhyay
Edited By: Hemant Kumar Upadhyay
Publish Date: Mon, 29 Apr 2024 10:49:05 AM (IST)
Updated Date: Mon, 29 Apr 2024 10:49:05 AM (IST)
HighLights
- धार्मिक-पौराणिक महत्व के प्राचीन तीर्थ स्थल की बदहाली देख भक्तों की भावना आहत
- नवनिर्मित दीवारों पर लगाया गया लाल पत्थर क्षतिग्रस्त
- कचरे व गंदगी से सराबोर है प्राचीन ऋषि तलाई।
नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए देशभर में प्रसिद्ध उज्जैन का गयाकोठा तीर्थ संवरने से पहले ही उजड़ गया है। बताया जाता है बजट नहीं मिलने से विकास योजना अधर में लटक गई है। प्रोजेक्ट स्थल पर यहां वहां सरिये निकले पड़े हैं। दीवारों व सीढ़ियाें पर लगाया गया लाल पत्थर टूट चुका है। पेयजल, शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं का टोटा बना हुआ है। यह सब देख श्रद्धालुओं की आस्था को चोट पहुंच रही है।
खाकचौक स्थित गयाकोठा तीर्थ क्षेत्र का विकास तीन चरणों में कराने के लिए शासन ने साल- 2018 में 22 करोड़ 50 लाख रुपये की परियोजना स्वीकृत की थी। सूत्र बताते हैं निर्माण एजेंसी मध्यप्रदेश गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल को शासन से जितनी राशि स्वीकृत हुई थी, उससे निर्माण कार्य करवा लिया है।
शेष राशि आवंटित नहीं होने पर यथा स्थिति बनी हुई है। उल्टे अनदेखी के अभाव में जो नवनिर्माण किया गया था वह भी जमींदोज होने लगा है। सबसे अधिक दुर्दशा धार्मिक व पौराणिक महत्व की ऋषि तलाई की है। महीनों से इसकी साफ सफाई नहीं हुई है। तलाई के जल में पड़ी दूध आदि पूजन सामग्री के सड़ने से चारों और दुर्गंध फैल रही है। तीर्थ की बदहाली देख देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं की धार्मिक भावना आहत हो रही है।
यह भी जानिए
-नवमंदिर मंदिर, सभा मंडप, तर्पण कुटिया, बिंदु सरोवर, पूजन सामग्री की दुकानों का काम अधूरा है।
-बाउंड्रीवाल, मुख्य प्रवेश द्वार सहित छतरियों का निर्माण कार्य अभी बाकी है।
-विकास कार्य से पहले यहां कोई भी सुविधा नहीं थीं। सिर्फ एक कच्चा सरोवर था।
गयाकोठा का विशेष महत्व
उज्जैन में पितृ मोक्ष स्थल के रूप में गयाकोठा का विशेष महत्व है। इसका जिक्र स्कंद पुराण में भी है। मान्यता है कि पितरों की शांति और सद्गति के लिए इस स्थान पर किया गया पूजन, तर्पण, पिंडदान और अन्य कार्य शुभफलदायी है। यह भी मान्यता है कि गया कोठा तीर्थ पर तर्पण व पूजन का उतना ही महत्व है, जितना बिहार के गया जी का है। यहीं प्राचीन 84 महादेव मंदिरों में से एक जटेश्वर महादेव का मंदिर भी प्रतिष्ठित है। कहा जाता है कि इस शिवलिंग के दर्शन और पूजन करने वालों पर पितरों की कृपा बनी रहती है।