उज्जैन (नईदुनिया प्रतिनिधि)। लोकायुक्त पुलिस ने गुरुवार को पंजीयक कार्यालय के भृत्य को तीन हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। भृत्य ने तराना के एक युवक से मकान की सत्यापित रजिस्ट्री की प्रति निकालने के एवज में चार हजार रुपये की घूस मांगी थी। युवक ने लोकायुक्त को शिकायत की थी। तीन हजार रुपये में सौदा तय किया था। गुरुवार को पंजीयक कार्यालय में जैसे ही भृत्य ने घूस के रुपये लिए लोकायुक्त ने उसे रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
डीएसपी वेदांत शर्मा ने बताया कि तराना निवासी शैलेंद्र पंवार ने अपने चाचा कमल सिंह निवासी तराना के मकान की सत्यापित प्रतिलिपि निकालने के लिए पंजीयक कार्यालय में 12 मार्च को आवेदन किया था। वहां भृत्य नारायण सिंह रावत ने शैलेंद्र से चार हजार रुपये की घूस मांगी थी। शैलेंद्र ने इस पर लोकायुक्त को शिकायत की थी। लोकायुक्त ने आवेदक शैलेंद्र के साथ लोकायुक्त के कर्मचारी को पंजीयक कार्यालय भेजा था। शैलेंद्र व नारायण सिंह की बातचीत से पता चल गया कि नारायण उससे रिश्वत की मांग कर रहा है। तीन हजार रुपये में सौदा तय हुआ था। गुरुवार को दोपहर करीब 12 बजे शैलेंद्र सिंह रुपये लेकर पंजीयक कार्यालय पहुंचा था। जैसे ही उसने रुपये दिए और इशारा किया लोकायुक्त ने भृत्य नारायण सिंह को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
पांच हजार रुपये ले लिए थे दोबारा मांगे थे चार हजार रुपये
डीएसपी वेदांत शर्मा ने बताया कि आवेदक शैलेंद्र सिंह ने 12 मार्च को आवेदन किया था। उस दौरान भी नारायण सिंह ने उससे पांच हजार रुपये ले लिए थे। बुधवार को जब वह दोबारा पंजीयक कार्यालय गया तो नारायण सिंह ने उससे फिर चार हजार रुपये की मांग की थी। जिस पर उसने लोकायुक्त को शिकायत की थी। शिकायत की पुष्टि के लिए लोकायुक्त कार्यालय का एक कर्मचारी साथ भेजा गया था। पुष्टि होने के बाद ट्रैप करने की योजना बनाई गई। गुरुवार को लोकायुक्त टीम पंजीयक कार्यालय के आसपास खड़ी हो गई थी। जैसे ही आवेदक ने भृत्य नारायण सिंह को घूस के रुपये दिए टीम ने उसे रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
भृत्य को बना दिया था नकल शाखा का बाबू
आरोपित नारायण सिंह पंजीयक कार्यालय में भृत्य के पद पर पदस्थ है लेकिन उसे नकल शाखा का बाबू बना रखा था। भृत्य होने के बाद भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई थी इस पर कार्यालय से नारायण की स्थापना से लेकर उसके नकल शाखा के बाबू बनाने के आदेश की जानकारी मांगी गई है। साथ ही यह भी पूछा गया है कि वह किसके आदेश से इस महत्वपूर्ण पद पर पदस्थ था।