Ujjain Shaktipeeth: धर्मशास्त्र के जानकारों के अनुसार उज्जैन में दो शक्तिपीठ स्थित हैं। दोनों शक्तिपीठ आमने सामने पहाड़ी पर हैं। दोनों मंदिरों में विराजित देवियों की मूर्तियां आमने सामने हैं। मान्यता के अनुसार पहला हरसिद्धि व दूसरा शक्तिपीठ अवंतिका है। मान्यता के अनुसार शक्तिपीठ हरसिद्धि में माता सती की सीधे हाथ की कोहनी तथा शक्तिपीठ अवंतिका में ऊध् र्व ओष्ठ गिरा था। पंचांगकर्ता ज्योतिर्विद पं.आनंद शंकर व्यास बताते हैं उज्जैन में दो शक्तिपीठ होने की मान्यता है। इसका उल्लेख कल्याण के शक्ति अंक में भी मिलता है। शास्त्रों में नगर में स्थित यह दोनों शक्तिपीठ आमने सामने बताए गए हैं।
इनमें देवी की मूर्तियां भी एक दूसरे पर दृष्टि डालती हुई बताई गई है। वर्तमान भौगोलिक स्थिति को देखें तो शास्त्रों में वर्णित शक्ति पीठों का उल्लेख सत्य प्रतीत होता है। शक्तिपीठ हरसिद्धि मंदिर भी ऊंचाई पर स्थित है और महाकाल मंदिर भी। महाकाल मंदिर के सभा मंडप में माता अवंतिका का मंदिर है। इस मंदिर में विराजित माता अवंतिका माता की मूर्ति हरसिद्धि मंदिर में विराजित माता हरसिद्धि के आमने समाने हैं। मान्यता है हरसिद्धि में माता सती की कोहनी तथा अवंतिकापीठ में माता ऊध् र्व ओष्ठ गिरा था।
उज्जैन की अधिष्ठात्री देवी है माता अवंतिका
पं.व्यास बताते हैं जिस प्रकार मुंबई की अधिष्ठात्री देवी मुंबा माता है, उसी प्रकार उज्जैन की अधिष्ठात्री देवी माता अवंतिका है। शहर के औद्योगिक विकास तथा नगर की सुख समृद्धि के लिए शासन व प्रशासन को माता अवंतिका का विधिवत पूजन करना चाहिए। देखने में आया है कि शासन व प्रशासन ने अब तक इस मंदिर में याथोचित सम्मान पूर्वक पूजा अर्चना नहीं की है। माता अवंतिका को प्रसन्ना् करने के लिए नवरात्र के नौ दिन विशेष पूजन व अनुष्ठान किया जाना चाहिए। महाअष्टमी पर हवन तथा नवमी पर महापूजन होना चाहिए।
सभा मंडप में मंदिर होने से आम भक्त नहीं कर पाते दर्शन
महाकाल के सभा मंडप में माता अवंतिका का मंदिर है। महाकाल में आम भक्तों का प्रवेश इतनी सुविधा से नहीं हो पाता है और अगर सामान्य द्वार से भक्त मंदिर के भीतर भी पहुंच जाएं, तो सभा मंडप में आसानी से प्रवेश नहीं मिल पाता है। कड़ी सुरक्षा तथा मंदिर के नियमों के चलते सामान्य भक्तों का सभा मंडप में प्रवेश संभव नहीं है, ऐसे में भक्त माता अवंतिका के दर्शन नहीं कर पाते हैं।