नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन( Ujjain Simhasth Mahakumbh 2028)। भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन में शिप्रा नदी किनारे वर्ष 2028 में लगने वाले महाकुंभ सिंहस्थ की तारीख शासन ने घोषित कर दी है। सिंहस्थ मेला अधिकारी आशीष सिंह ने बताया कि इस बार सिंहस्थ दो माह का होगा। 27 मार्च से 27 मई तक लगेगा। नौ अप्रैल से आठ मई तक तीन अमृत स्नान और सात स्नान पर्व होंगे। गत सिंहस्थ एक माह का था।
उज्जैन में हर 12 वर्ष के अंतराल पर महाकुंभ सिंहस्थ लगता है, जिसमें दुनियाभर से साधु-संत और श्रद्धालु शिप्रा नदी में स्नान करने आते हैं और धर्म, संस्कृति का प्रचार-प्रसार करते हैं। इस बार के महाकुंभ में 14 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान सरकार ने लगाया है। सिंहस्थ में अब 35 महीने का समय शेष रह गया है और स्थिति यह है कि सड़क, पुल, बिजली सहित अधिकांश प्रोजेक्ट कागजों में ही सिमटे पड़े हैं।
प्रमुख बात यह है कि सालभर में सिंहस्थ मद के केवल दो काम ही धरातल पर प्रारंभ हो पाए हैं। विभागीय मद के अधिकांश प्रोजेक्ट सक्षम स्वीकृति और ठेकेदार चयन प्रक्रिया में ही उलझा रखे हैं। यह विशुद्ध रूप से अफसरों की उदासीनता एवं लापरवाही का प्रमाण है, जो समय रहते काम प्रारंभ और समाप्त न होने से आगे चलकर बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकती है।
एक रिपोर्ट के अनुसार सिंहस्थ की महत्ता और विशालता को ध्यान में रख श्रद्धालुओं के लिए व्यापक व्यवस्थाएं करने को 11 विभाग 15751 करोड़ रुपये के 102 कार्य की योजना प्रस्तावित हैं, जिनमें 5133 करोड़ रुपये से 75 कार्य इस वर्ष सिंहस्थ मद से कराने की अनुशंसा संभागीय समिति ने की है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि प्रदेश बजट में सिंहस्थ मद दो हजार करोड़ का ही रखा गया है। प्रश्न उठता है कि भविष्य में मद बढ़ाया जाएगा या कुछ कार्यों की छंटनी होगी।
सिंहस्थ कराने में सबसे बड़ी चुनौती भीड़ प्रबंधन और स्वच्छ जल में श्रद्धालुओं को स्नान कराने की है। भीड़ प्रबंधन तभी संभव है जब शहर की आंतरिक सड़कें चौड़ी, पुलों का दोहरीकरण और शिप्रा नदी पर घाट की लंबाई बढ़े।
ये तीनों ही काम करने में यहां का प्रशासन पिछड़ा है। ट्रैफिक नियंत्रण के लिए बनी रोप-वे, फ्रीगंज समानांतर रेलवे ओवर ब्रिज सरिकी अनेक विभागीय योजना सक्षम स्वीकृति के बाद भी धरातल पर शुरू न हो सकी है।