उज्जैन (नईदुनिया प्रतिनिधि), Ujjain Taramandal। मध्य प्रदेश की धर्मधानी उज्जैन की पहचान महाकालेश्वर मंदिर के बाद अब साइंस सिटी के रूप में भी होगी। इसके लिए भारत सरकार ने बसंत विहार स्थित तारामंडल परिसर में आंचलिक विज्ञान केंद्र, इनोवेशन सेंटर और फोर-के रिजुलेशन वाले थ्री थियेटर खोलने को 24 करोड़ र्स्पये अधिक की राशि स्वीकृत की है। इतना ही नहीं शहर से 30 किलोमीटर दूर महिदपुर के गांव डोंगला में 13 करोड़ र्स्पये से ऑब्जवेटरी बनाने की भी स्वीकृति दी है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानी आइआइटी इंदौर का डोंगला वैधशाला से एमओयू हो गया है। अब आइआइटी के विद्यार्थी, प्रोफेसर डोंगला वैधशाला आकर खगोल विज्ञान पर शोध, सेमिनार करेंगे।
यह बात प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार को मीडिया से साझा की। उन्होंने कहा कि उज्जैन में विज्ञान की पृष्टभूमि है। मध्यप्रदेश में उज्जैन, कालगणना का केंद्र माना गया है। यहां से काल्पनिक कर्क रेखा गुजरती है। यहां जीवाजी वेधशाला है, और महिदपुर के गांव डोंगला में वराहमिहिर वेधशाला है। यह वह स्थान है जहां से समय की गणना के लिए काल्पनिक कर्क रेखा और स्थानीय रेखांश एक दूसरे को काटती है। उज्जैन की पहचान अब तक महाकाल मंदिर, सम्राट विक्रमादित्य, महर्षि सांदीपनि आश्रम की वजह से रही है, अब यह शहर साइंस सिटी के रूप में भी पहचान बनाएगा। आगामी 18 जनवरी से 29 जनवरी 2021 को आईआईटी इंदौर एवं मेपकास्ट के सहयोग से इंटर स्कूल का ऑनलाइन वेबीनार आयोजित किया जायेगा। नवाचार केंद्र को विक्रम विश्वविद्यालय, इंजीनियरिंग कॉलेज और पॉलीटेक्निक कॉलेज से जोड़ा जाएगा। गढ़कालिका, वैश्य टेकरी और महाकालेश्वर मंदिर की खुदाई में प्राप्त पुरातत्व अवशेषों का संरक्षित किया जाएगा। शक संवत् की बजाय विक्रम संवत् को स्थापित कराने और स्वीकार कराने के प्रयास किए जाएंगे।
गुर्स्जी खेल प्रशाल में 7.49 करोड़ से बनेगा एथलेटिक्स के लिए सिंथेटिक ट्रेक
मंत्री ने कहा कि गुर्स्जी खेल प्रशाल में 7.49 करोड़ से एथलेटिक्स के लिए सिंथेटिक ट्रेक बनेगा। भारत सरकार से इसकी स्वीकृति हो गई है। जल्द ही इसका निर्माण शुरू होगा। निर्माण होने से यहां कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं होंगीं।
कॉलेजों का होगा संविलियन
मंत्री मोहन यादव ने कहा कि कॉलेजों का संविलियन किया जाएगा। क्योंकि प्रदेश के 518 शासकीय कॉलेजों में से 185 कॉलेजों में ही इस साल 90 फीसद एडमिशन हो पाए हैं। शेष कॉलेजों में 15-20 विद्यार्थियों ने ही एडमिशन पाया है। यानी सिर्फ इन 15-20 बच्चों को पढ़ाने पर ही शासन को इस साल कॉलेज के मैंटेनेंस सहित प्रोफेसरों के वेतन पर डेढ़ से 2 करोड़ र्स्पये खर्च करना पड़ेंगे।