संजय कुमार शर्मा, नईदुनिया, उमरिया। मध्य प्रदेश में बाघ दर्शन के लिए आने वाले पर्यटकों को जबलपुर से मनचाहे टाइगर रिजर्व तक पहुंचाने के लिए अब जल्द ही फोरलेन टाइगर कॉरिडोर की सुविधा मिल जाएगी। इससे रास्ता छोटा होगा और वाहनों की गति भी बढ़ेगी। मध्य प्रदेश के चार टाइगर रिजर्व तक टाइगर कॉरिडोर की घोषणा केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 23 अगस्त को जबलपुर में ओवरब्रिज के लोकार्पण के दौरान की थी। यह फोरलेन टाइगर कॉरिडोर 961 किमी लंबा होगा।
जबलपुर से कटनी तक फोरलेन सड़क है, लेकिन बांधवगढ़ तक के लिए नए प्रोजेक्ट पर काम होगा। यह काम कटनी से बांधवगढ़ को जोड़ने के लिए किया जाएगा। कटनी से उमरिया तक टू लेन सड़क पहले से बनी हुई है, जिसे फोरलेन में परिवर्तित करने के लिए होमवर्क किया जा रहा है। जबलपुर से बांधवगढ़ की दूरी में 10 से 20 किमी कम होने की संभावना है।
नागपुर-बनारस नेशनल हाईवे से पर्यटक जबलपुर से कटनी होते हुए मैहर पहुंचेंगे। यहां से राम वन गमन पथ मैहर से सतना पहुंचेंगे। सतना से पन्ना तक का 88 किमी तक के फोरलेन कॉरिडोर पर काम होगा। जबलपुर से पन्ना टाइगर रिजर्व की दूरी अभी लगभग 280 किमी है लेकिन मैहर से सतना और सतना से फोरलेन बन जाने के बाद दूरी लगभग 10 से 20 किमी कम होने की संभावना है।
जबलपुर से रायपुर छत्तीसगढ़ तक जाने वाला टू लेन नेशनल हाईवे मंडला से होकर गुजरता है। इसी रोड को चिल्फी तक फोरलेन करने के प्रोजेक्ट पर काम होगा और मंडला से लगभग 25 किलोमीटर बम्हनी तक फोरलेन सड़क बनाकर कान्हा को इस रोड से जोड़ा जाएगा। जबलपुर से कान्हा की दूरी अभी लगभग 130 किमी है जो 10 किमी कम होने की संभावना है।
सिवनी जिले में स्थित पेंच टाइगर रिजर्व तक पहले से ही फोरलेन सड़क बनी हुई है, जिससे जबलपुर से लगभग 206 किमी का सफर करके पर्यटक बड़ी आसानी के साथ पेंच तक पहुंच जाते हैं।
मध्य प्रदेश में आने वाले ज्यादातर पर्यटक इन चारों टाइगर रिजर्व में घूमना चाहते हैं। इन चारों टाइगर रिजर्व की सबसे खास बात यह है कि यहां बाघों की संख्या सबसे ज्यादा है। बांधवगढ़ में 165, कान्हा में 129, पेंच में 123 जबकि पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 62 है।
एक दूसरी वजह यह भी है कि जबलपुर में एयरपोर्ट है और यहां देश के किसी भी कोने से हवाई जहाज से पर्यटक पहुंच सकते हैं।
जबलपुर से पेंच तक तो फोरलेन सड़क पहले से बनी हुई है। कान्हा और पन्ना तक भी काफी हद तक सड़क का काम हो चुका है। सिर्फ बांधवगढ़ ही शेष है, जिसके सर्वे और होमवर्क का काम शुरू किया जा रहा है। फोरलेन बन जाने से निश्चित तौर पर टाइगर रिजर्व जाने में सुविधा भी होगी और जबलपुर से दूरी भी कम होगी। - अमृत लाल साहू, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, एनएचएआई जबलपुर।