संजय कुमार शर्मा, नईदुनिया, उमरिया। अयोध्या से नेपाल के जनकपुर तक श्रीराम वन गमन पथ के शोधकर्ता डा. रामअवतार शर्मा मध्य प्रदेश में तीन ऐसे स्थलों की तलाश कर रहे हैं,जहां भगवान श्रीराम रुके थे। डॉ. शर्मा अब तक श्रीराम वन गमन पथ पर 290 ऐसे स्थलों की खोज कर चुके हैं। संबंधित राज्य सरकारें इन स्थलों के विकास पर काम कर रही है। डॉ. रामअवतार एक बार फिर भगवान श्रीराम के वन गमन पथ की यात्रा पर निकल पड़े हैं। उमरिया-अनूपपुर जिले में दो और सीधी-सिंगरौली के एक स्थल की उन्हें तलाश है जहां भगवान कुछ दिन रुके थे।
डा रामअवतार पिछले 48 वर्षों से भगवान श्रीराम के वन गमन पथ पर शोध कर रहे हैं, जिसे भारत सरकार ने भी मान्यता दी है। वे रामायण परिपथ, भारत सरकार पर्यटन मंत्रालय नई दिल्ली के अध्यक्ष हैं और श्रीराम सांस्कृतिक शोध संस्थान न्यास के प्रबंध न्यासी व शोधकर्ता हैं। वे सहायक निदेशक आयकर विभाग रह चुके हैं। उन्होंने दुनिया के कई देशों में भगवान श्रीराम की यात्राओं पर शोध पत्र प्रस्तुत किया है।
उन्होंने बताया कि उमरिया जिले में उन्हें कहेंदुआ पहाड़ की तलाश है। यह पहाड़ महानदी के किनारे तैमूर पहाड़ से 15-20 किमी की दूरी पर दक्षिण में स्थित होना बताया जाता है। यह स्थान मार्कंडेय आश्रम के पास बताया जा रहा है। मान्यता है कि श्रीराम ने वनवास के दौरान इस पहाड़ पर कहेंदुआ राक्षस का वध किया था।
अनूपपुर-डिंडौरी के बीच रूसा गांव में भी श्रीराम रुके थे। यहां के एक स्थल की भी उन्हें तलाश है। सीधी-सिंगरौली जिले के बीच माड़ा और बैढ़न के पास का तीर्थमय पहाड़ पर भी है। डा रामअवतार ने कहा कि उनके शोध से तैयार सूची में जो स्थान छूटे हुए हैं, वे उन्हें समझने और जानने के इच्छुक हैं। उमरिया जिले में सीतामढ़ी का उन्होंने दौरा किया। इस दौरान करीब दो सौ लोगों से बातचीत की है।
डॉ. रामअवतार ने बताया कि श्रीराम वन गमन पथ पर आधारित एक संग्रहालय का निर्माण अयोध्या में किया जाएगा। इसके लिए आवश्यक तैयारियां की जा रही हैं। संग्रहालय में श्रीराम वन गमन पथ को पूरी तरह से सजीव बनाया जाएगा। यह संग्रहालय सौ करोड़ की लागत से बनाया जाएगा।