
संजय कुमार शर्मा, नईदुनिया, उमरिया। अखिल भारतीय बाघ गणना के दुनिया के सबसे बड़े सर्वे के लिए देहरादून स्थित वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट के मार्गदर्शन में मध्य प्रदेश में 15 नवंबर से कैमरे लगाने का काम शुरू हो गया है। चार महीने से ज्यादा समय तक चलने वाले इस महाअभियान के दौरान प्रदेश की नौ हजार वन बीट में 30 हजार से ज्यादा वनकर्मी और अधिकारी काम करेंगे।
इस दौरान 31 हजार 098 वर्ग किलोमीटर आरक्षित वन, 61 हजार 886 वर्ग किमी संरक्षित वन और 1705 वर्ग किमी अवर्गीकृत वन क्षेत्र में बाघों की गणना की जाएगी। इससे पहले वर्ष 2022 में राष्ट्रव्यापी गणना हुई थी, जिसमें देश में कुल 3682 और मध्य प्रदेश में 785 बाघ पाए गए थे।
पहले स्लाट में प्रदेश के नौ टाइगर रिजर्व के कुल 15436.084 वर्ग किमी क्षेत्र में कैमरे लगाए जा रहे हैं। इस क्षेत्र में लगभग साढ़े छह हजार कैमरों का उपयोग होगा। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र 716.903 वर्ग किलोमीटर में तीन बार में कुल आठ सौ कैमरों का उपयोग किया जाएगा। संजय धुबरी टाइगर रिजर्व में कुल 562 कैमरों से गणना होगी। टाइगर रिजर्व के बाद सामान्य वन मंडल और वन विकास निगम के जंगलों मे कैमरे लगाने का काम होगा।
इस बार कमरे में स्वदेशी बैटरी का इस्तेमाल किया जा रहा है। कैमरे में लगाई जाने वाली जीटी अल्ट्रा गोदरेज कंपनी की बैटरी है, जिसकी क्षमता एक महीने से ज्यादा की है। एक ही स्थान पर कैमरे 25 दिन के लिए लगाए जाते हैं। लिहाजा इस बैटरी पर पूरा भरोसा किया जा सकता है। हालांकि कैमरा ट्रैपिंग के दौरान कैमरों की निगरानी का काम भी लगातार होगा।
दो स्क्वायर किमी क्षेत्र की एक ग्रीड में एक सेट यानी कुल दो कैमरे लगाए जाएंगे। इसके पहले चार स्क्वायर किमी क्षेत्र में दो कैमरे लगाए जाते थे। यह कैमरे एक दूसरे के सामने कुछ इस तरह से लगाए जाएंगे, जिससे बाघ के दोनों तरफ का चित्र एक साथ आ सके। 25 दिन बाद इन कैमरों को दूसरे स्थानों पर शिफ्ट किया जाएगा।
कैमरा लगाने के काम लगभग एक सप्ताह चलेगा और जिस दिन काम पूरा होगा, उस दिन से ट्रैपिंग शुरू मानी जाएगी। कैमरे में कैप्चर होने वाले बाघों के चित्रों का विश्लेषण डब्ल्यूआईआई देहरादून में होगा। इसमें एक साल से ज्यादा का समय लगेगा और गणना के परिणाम वर्ष 2027 में 29 जुलाई को घोषित किए जाएंगे।

कैमरा ट्रैपिंग का काम शुरू होने के बाद एक दिसंबर से जंगल में गणना अभियान के तहत चिह्न संग्रहण काम शुरू होगा। इसके लिए वन कर्मचारी अपनी बीट की ट्रांजिट लाइन पर चलेंगे और वन्य प्राणियों के चिह्नों का संग्रहण करेंगे। प्राप्त किए जाने वाले चिह्नों की जानकारी एम स्ट्राइप ऐप में दर्ज की जाएगी। इसमें वन्य प्राणियों के पगमार्क, उनकी विष्टा, वृक्ष पर बनाए जाने वाले खरोंच के निशान और प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देने वाले वन्य प्राणी शामिल किए जाते हैं।
यह राष्ट्रव्यापी गणना डब्ल्यूआईआई देहरादून के विशेषज्ञों के मार्ग दर्शन में हो रही है। गणना को ज्यादा विश्वसनीय और सटीक बनाने के लिए प्रदेश भर के वन कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया गया है। हमें पूरा भरोसा है कि इस बार भी मध्य प्रदेश में दूसरे प्रदेशों से ज्यादा बाघ होंगे। - शुभरंजन सेन, वाइल्ड लाइफ वार्डन, मध्य प्रदेश