नईदुनिया प्रतिनिधि, उमरिया। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में दो लावारिस बाघ शावक पाए गए हैं। इन दोनों ही शावकों को प्रबंधन ने रेस्क्यू कर लिया है। दोनों बाघ शावकों को ताला के एक सुइट में रखा गया है। स्वास्थ्य परीक्षण में दोनों ही शावक स्वस्थ पाए गए हैं। दोनों बाग शावकों की उम्र लगभग दो महीने के आसपास होने का अनुमान है। जिस स्थान पर दो शावक लावारिस अवस्था में मिले हैं, उसी स्थान पर तीन अक्टूबर को एक बाघ का कंकाल पाया गया था, जिसकी पहचान अभी तक नहीं हो पाई है। अब अनुमान लगाया जा रहा है की मरने वाला बाघ मादा थी और उसे कांटीवाह बाघिन के नाम से जाना जाता था। पिछले कई दिनों से यह बाघिन दिखाई नहीं पड़ रही है।
दोनों बाघ शावक गस्ती के दौरान दिखाई पड़े थे। इस बारे में जानकारी देते हुए बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर डॉक्टर अनुपम शाह ने बताया कि दोनों बाघ शावकों को परिक्षेत्र पनपथा बफर की बीट सलखनिया के कक्ष क्र. पीएफ 610 में गश्ती दल ने देखा था। बाघ शावकों को देखने के बाद गश्ती दल देने अधिकारियों को इसकी सूचना दी और उसके बाद आसपास की सर्चिंग का काम शुरू किया गया।
एक शावक बाघ गिरे हुए पेड़ की खोह में घुसता हुआ दिखा जिसके उपरांत गश्ती दल एवं कैम्प हाथियों के द्वारा क्षेत्र की सघन सर्चिंग की गई। परंतु बड़े नर अथवा मादा बाघ के कोई भी चिन्ह नहीं मिले। क्षेत्र संचालक के निर्देशानुसार एवं मार्गदर्शन में पेड़ की खोह में पाए गए दोनों शावको का रेस्क्यू एडी ताला, एसडीओ पनपथा, रेंजर खितौली, रेंजर पनपथा बफर, रेस्क्यू दल एवं अन्य स्टाफ के द्वारा किया गया। रेस्क्यू उपरांत शावको को ताला ले जाया गया जहां उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया गया।
दोनों बाघ शावकों को कुछ समय तक ताला के सुइट में ही रखकर अभिरक्षा में उनका पालन पोषण किया जाएगा। इसके पश्चात उन्हें बहेरहा के इंक्लोजर में छोड़ दिया जाएगा। इंक्लोजर के अंदर ही उन्हें शिकार की तकनीक सिखाई जाएगी। अथवा इन्हें वनविहार भोपाल अथवा मुकुंदपुर टाइगर सफारी भी भेजा जा सकता है। यह सारी कार्रवाई वन विभाग के उच्च अधिकारियों के निर्देशन और मार्गदर्शन में की जाएगी। हालांकि, इसके पहले घटनास्थल पर सर्चिंग जारी रहेगी और यदि कोई अन्य बाघिन अथवा कांटीवाह बाघिन नजर आती है और ऐसा महसूस होता है कि यह शावक उसी के हैं तो इन शावकों को उनके पास भी छोड़ा जा सकता है।