विदिशा (नवदुनिया प्रतिनिधि)। प्रदेश में राज्य सरकार नागरिकों को 24 घंटे और सातों दिन स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने का दावा करती है लेकिन मैदानी हकीकत ठीक इसके उलट है। रविवार के दिन पूरे जिले में स्वास्थ्य सेवाएं छुट्टी पर रहती है। यदि इस दिन कोई बीमार पड़ जाए तो उसके पास निजी डाक्टर या निजी अस्पताल जाने के सिवा कोई विकल्प नहीं बचता है। रविवार को नवदुनिया द्वारा गांव से शहर तक की गई पड़ताल में यही सच निकलकर सामने आया। शहर से 25 किमी दूर अहमदपुर कस्बे के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ताला लगा मिला, जबकि यहां दो डाक्टर सहित सात लोगों का स्टाफ है, वहीं जिला अस्पताल में इमरजेंसी सेवा के नाम पर इलाज की औपचारिकता होती दिखाई दी। स्वास्थ्य विभाग के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. अखंड प्रताप सिंह ने यह कहकर इन खामियों को छिपा दिया कि रविवार को अवकाश के शासन के आदेश है। इन हालातों में यही कहा जा सकता है की हे, ईश्वर रविवार को बीमार मत करना, हमारे डाक्टर छुट्टी पर रहते हैं।
गांव के हाल : दो डाक्टर सहित सात कर्मचारियों का स्टाफ, फिर भी स्वास्थ्य केंद्र पर लटके थे ताले
विदिशा विकासखंड के अहमदपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में रविवार को ताले लटके मिले। यहां दो डाक्टरों के अलावा एक स्टाफ नर्स, दो एएनएम, एक फार्मासिस्ट और एक लैब टेक्नीशियन पदस्थ है, लेकिन रविवार के दिन इनमें से एक भी स्वास्थ्य केंद्र में उपलब्ध नहीं रहा। स्वास्थ्य केंद्र की दीवारों पर सरकारी योजनाओं की जानकारी के साथ सातों दिन चौबीसो घंटे सेवा उपलब्ध होने की जानकारी लिखी थी लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर दिखी। कहने को तो इस स्वास्थ्य केंद्र में सात लोगों का स्टाफ है, लेकिन रविवार को इनमें से कोई भी केंद्र का ताला खोलने नहीं आया। पास में शासकीय आवास में दो एएनएम रहती हैं, लेकिन रविवार को वे भी तब आती हैं जब कोई गर्भवती महिला डिलीवरी के लिए आए। स्थानीय निवासी विजय शर्मा ने बताया कि रविवार को स्वास्थ्य केंद्र बंद ही रहता है। कोई बीमार पड़ जाए तो उसे गांव की निजी क्लीनिक में ले जाना पड़ता है या सीधा 25 किलोमीटर दूर विदिशा जिला अस्पताल ले जाते हैं। इस स्वास्थ्य केंद्र में डा. टीकाराम शर्मा और डा. सतीश मौर्य पदस्थ हैं। इनमें से डा. मौर्य को ब्लाक मेडिकल आफिसर का पदभार दिया है इसलिए वे विदिशा में ही रहते हैं। स्वास्थ्य केंद्र में केवल डा. टीकाराम शर्मा ही ओपीडी में मरीजों की जांच करते हैं। वे ही यहां के इंचार्ज हैं। डा. टीकाराम शर्मा का कहना है कि अस्पताल में प्रसव सुविधा 24 घंटे उपलब्ध है। दो एएनएम पास में ही सरकारी आवास में रहती हैं जो रविवार के दिन भी इमरजेंसी में गर्भवतियों की डिलीवरी कराने उपलब्ध हैं।मैं हफ्ते में छह दिन आता हूं मरीजों की जांच करता हूं, इसलिए रविवार को छुट्टी पर रहता हूं।
आयुष डाक्टरों की भी छुट्टी
इसी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में अलग से आयुष औषधालय भी संचालित होता है। यहां दो आयुष डाक्टर भी पदस्थ्य हैं, लेकिन रविवार को वे भी नहीं आए। कुल मिलाकर मरीजों को रविवार के दिन किसी तरह की सुविधा उपलब्ध नहीं होती। ये ढर्रा सालों से चलता आ रहा है इसलिए अब तो ग्रामीण भी मानने लगे हैं कि रविवार को जिस तरह दूसरे शासकीय कार्यालय बंद रहते हैं उसी तरह स्वास्थ्य केंद्र भी बंद रहता है।
जिम्मेदार बोले
रविवार को तो सभी जगह अवकाश रहता है, इस दिन अवकाश के चलते ओपीडी बंद रहती है लेकिन इमरजेंसी सेवा के रूप में वहां एएनएम रहती हैं, यदि ताला लगा है तो मैं बोलकर खुलवा देता हूं।
- डा. सतीश मौर्य, बीएमओ ,विदिशा ब्लाक।
शहर के हाल : जिला अस्पताल में एक डाक्टर के भरोसे इमरजेंसी ओपीडी
विदिशा जिला अस्पताल में भी रविवार को छुट्टी जैसा माहौल था। स्टाफ की संख्या बहुत कम थी। सामान्य ओपीडी के कक्ष में ताला लगा था और इमरजेंसी की ओपीडी में एक डाक्टर सारी व्यवस्था संभाले हुए थे। रविवार को जब नवदुनिया रिपोर्टर ने अस्पताल पहुंचकर सुबह 8 से 10 बजे तक व्यवस्थाओं की पड़ताल की तो मरीज भटकते दिखाई दिए। ग्राम भैरोंखेडी निवासी संतोष लोधी अपने पुत्र विनय लोधी को रेबीज का इंजेक्शन लगवाने अस्पताल पहुंचे थे। उनका कहना था कि बेटे को कुत्ते ने काट लिया था उसे चार इंजेक्शन लगना थे, अभी तक तीन लग चुके हैं, रविवार को चौथा इंजेक्शन लगना था, लेकिन डाक्टर ने इंजेक्शन लगाने से मना कर दिया। उन्हें कह दिया गया की वे सोमवार को आए। तिलक चौक निवासी धर्मेन्द्र जैन सुबह 9 बजे अपनी 78 वर्षीय मां को लेकर पहुंचे। उनका कहना था कि एक दिन पहले मां का मोतियाबिंद का आपरेशन कराया था आज पट्टी बदली जाना है, इसके लिए उन्हें चौथी मंजिल पर जाना था लेकिन काफी देर तक उन्हें लिफ्ट तक ले जाने के लिए व्हील चेयर नहीं मिली। जब मिली तो उन्हे खुद ही व्हील चेयर धकाकर लिफ्ट तक ले जाना पड़ा क्योंकि अस्पताल में कोई वार्ड ब्वाय नहीं था। अस्पताल में भर्ती मरीजों के मुताबिक रविवार सहित अवकाश के दिन मरीजों को आम दिनों की तरह सुविधाएं और चिकित्सा नहीं मिल पाती। कहने को भले ही इमरजेंसी व्यवस्थाएं रहती हैं, लेकिन मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। जिला अस्पताल में उपचार के लिए आए श्याम सिंह का कहना था कि इमरजेंसी ओपीडी में मौजूद एक ही डाक्टर हर बीमारी का उपचार करता है और जो उसके पास मौजूद दवाईया होती है वह उन्हें उपलब्ध करा देता है। सामान्य मरीजों पर इस दिन ध्यान नहीं दिया जाता। उन्हें अगले दिन आने को कहा जाता है।
जिम्मेदार बोले
सामान्य दिनों में अस्पताल में 25 डाक्टर मौजूद रहते हैं जो अलग-अलग तरह की बीमारियों का उपचार करते हैं, लेकिन रविवार को इमरजेंसी सेवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। इस दिन चार डाक्टरों की ड्यूटी रहती है। जरूरत पड़ने पर संबंधित डाक्टर को फोन करके बुलाया जाता है।
-डा. संजय खरे, सिविल सर्जन ,जिला अस्पताल विदिशा।
सीएमएचओ बोले
जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित स्वास्थ्य केंद्रों पर रविवार अवकाश के निर्देश शासन के ही है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, सिविल अस्पताल और जिला अस्पताल में इमरजेंसी सेवा उपलब्ध रहती है। ग्रामीण क्षेत्रों में डाक्टरों की कमी के कारण अवकाश के दिन स्वास्थ्य सेवा शुरू रखना संभव नहीं होता हालांकि गांवों में आशा कार्यकर्ताओं के पास दवा उपलब्ध रहती है। ग्रामीण मरीज रविवार को जरूरत पड़ने पर उनसे दवा ले सकते है।
- डा.अखंड प्रताप सिंह,सीएमएचओ, विदिशा।