Corona Vaccination in Vidisha: अजय जैन, विदिशा। कोरोना से बचाव के लिए जब टीकाकरण शुरू हुआ तो लोग इसके दुष्प्रभावों की आशंका से डरे हुए थे लेकिन जब टीके लगना शुरू हुए तो लोग इसके फायदे गिनाने लगे हैं। जिले में कुछ ऐसे लोग सामने आए हैं, जिनका कहना है कि टीका लगने के बाद उनकी वर्षों पुरानी बीमारियां भी ठीक हो गईं। इनमें घुटने के दर्द से लेकर अनिद्रा और एलर्जी से जुड़ी बीमारियों के मरीज अधिक हैं।
विदिशा के क्रांति चौक में रहने वाले सीमेंट व्यवसायी गिरीश शर्मा बताते हैं कि उनके दादा-दादी को पिछले माह कोरोना के दोनों टीके लग चुके हैं। इसका फायदा यह हुआ कि दोनों के घुटनों का दर्द गायब हो गया। उनके 80 वर्षीय दादाजी कोमल प्रसाद शर्मा बताते हैं कि वे और 75 साल की उनकी पत्नी विमला बाई करीब 20 साल से घुटनों के दर्द से परेशान थे। काफी इलाज के बाद भी आराम नहीं मिला। वे बिना लाठी के एक कदम नहीं चल पाते थे लेकिन जबसे टीका लगवाया है, उनकी लाठी छूट गई। अब वे छत की सीढ़ियां तक बिना सहारे के चढ़ जाते हैं।
कलेक्टर कार्यालय में पदस्थ स्टेनो राकेश श्रीवास्तव बताते हैं कि दो साल पहले उनके दिल का ऑपरेशन हुआ था। उसके बाद से अनिद्रा की बीमारी थी। उन्हें रात में दो से तीन बजे तक नींद नहीं आती थी। पिछले माह 23 जून को उन्होंने कोरोना का पहला टीका लगवाया। इसके बाद से अनिद्रा की बीमारी दूर हो गई। 39 वर्षीय कंप्यूटर इंजीनियर संयोग श्रीवास्तव बताते हैं कि उन्हें 10 साल से एलर्जिक राइनाइटिस की समस्या थी। इस बीमारी में नाक के भीतरी हिस्से में सूजन आने से नाक बंद हो जाती है। उन्हें अक्सर नेजल स्प्रे करना पड़ता था। 15 जून को उन्हें कोरोना का दूसरा टीका लगा था। इसके बाद से ही यह बीमारी दूर हो गई।
इनका कहना है
वायरल इन्फेक्शन में हो सकता है लाभ हुआ हो
विदिशा के अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल कालेज के डीन डॉ. सुनील नंदेश्वर का कहना है कि इस वैक्सीन से शरीर में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए ही एंटीबॉडी विकसित होती हैं। हो सकता है कि वायरल इन्फेक्शन संबंधी कुछ बीमारियों में फायदा हुआ हो लेकिन घुटनों का दर्द दूर हो जाना शोध का विषय है।
विशेषज्ञ की राय
यह शोध का विषय
इस संबंध में अभी कोई शोध नहीं हुआ है। इस कारण यह कह पाना मुश्किल है कि कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी बनने से और भी फायदे हो सकते हैं। निश्चित रूप से यह शोध का विषय है। सरकार को चाहिए कि ऐसे लोगों को ब्रांड एंबेसडर बनाएं।
- डॉ. सरमन सिंह, निदेशक, एम्स भोपाल