Narsimha Jayanti 2023: विदिशा के उदयगिरि में है पांचवीं शताब्दी की अनूठी भगवान नृसिंह शिला
हिरण्यकश्यप का वध करते हुए चट्टान पर उत्कीर्ण हैं भगवान नृसिंह। बलुआ पत्थर पर उकेरी गई है भगवान नृसिंह की आकृति।
By Ravindra Soni
Edited By: Ravindra Soni
Publish Date: Thu, 04 May 2023 10:42:27 AM (IST)
Updated Date: Thu, 04 May 2023 10:42:27 AM (IST)

राजेंद्र शर्मा, विदिशा। जिले में ऐतिहासिक उदयगिरि की पहाड़ी के पास विशाल चट्टान मौजूद है जिस पर भगवान नृसिंह की प्रतिमा उत्कीर्ण है। इसमें भगवान नृसिंह हिरण्यकश्यप का वध करते हुए रौद्र रूप में दिखाए गए हैं। वह अपनी गोद में हिरण्यकश्यप को लिए हैं और अपने दोनों हाथ उसके पेट पर दिखाए गए हैं। पुरात्ववेत्ताओं का कहना है कि यह प्रदेश में एकमात्र प्रतिमा है जो विशाल चट्टान पर उकेरी गई है। जिसे नृसिंह शिला के नाम से भी जाना जाता है। बहुत कम लोगों को ज्ञात होगा कि उदयगिरि पहाड़ी के दक्षिण पश्चिम में स्थित एक पत्थर की शिला पर जो प्रतिमा उकेरी गई है इस तरह की प्रतिमा देश में मिलना दुर्लभ है।
चौथी-पांचवी शताब्दी के गुप्तकाल में बनी उदयगिरि की गुफाओं के दौरान ही बलुआ पत्थर पर इस प्रतिमा को उकेरा गया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सेवा निवृत्त अधीक्षण पुरातत्तविद् नारायण व्यास बताते हैं कि यह प्रतिमा पांचवी शताब्दी में उकेरी गई थी। प्रतिमा में चैहरा बिल्कुल साफ दिखाई दे रहा है, लेकिन पत्थर खराब होने के कारण बारीक कारीगरी नहीं हो सकी जिसके चलते गोद में लिए हिरण्यकश्यप पूरा दिखाई नहीं देता, लेकिन वह उनकी गोद में लेटा और उसके पेट पर नृसिंह भगवान के दोनों हाथ दिखाई देते हैं। उनके चेहरे पर हिरण्यकश्यप के खिलाफ क्रोध स्पष्ट दिखाई दे रहा है। उनका कहना है कि इतने विशाल चट्टान पर यह मप्र में इकलौती है।
प्रतिमा को संरक्षित करने बनाया शेड
इस प्राचीन प्रतिमा के खुले आसमान में पड़े रहने के कारण इसका क्षरण होने लगा था। पत्थर भी जगह-जगह से टूटने लगा था। तीन साल पहले उदयगिरि पहुंचे मंत्री प्रह्लाद पटेल ने श्रद्धालुओं की मांग पर यहां शेड का निर्माण कराया। इससे फिलहाल यह प्रतिमा धूप, वर्षा से बचने लगी है।
आंवला नवमी पर होता है कवि सम्मेलन
ऐतिहासिक श्रीरामलीला मेला समिति द्वारा हर साल आंवला नवमी के मौके पर 21 किलोमीटर लंबी उदयगिरि परिक्रमा निकाली जाती है जिसमें शहर के सभी मंदिरों के ध्वज लेकर पुजारी और आम श्रद्धालु शामिल होते हैं। इस दिन उदयगिरि में मेला लगता है। इस दौरान इस चट्टान (नृसिंह शिला) के नीचे बैठकर कवि सम्मेलन किया जाता है। रामलीला के उप प्रधान संचालक डा. सुधांशु मिश्र बताते हैं कि सन् 1890 से नृसिंह शिला के नीचे कवि सम्मेलन होता आ रहा है।