बॉटमः-
गेहूं की नई किस्म एमपी-1323 जल्द ही रिलीज होने वाली है, जिसकी उत्पादन क्षमता वर्तमान में उपलब्ध किस्मों से अधिक होगी-वरिष्ठ कृषि विज्ञान
-पौध किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण पर प्रशिक्षण
फोटो : 07 आरएसएन-01
रायसेन। नवदुनिया प्रतिनिधि
कृषि विज्ञान केंद्र, नकतरा द्वारा पौध किस्म एवं अधिकार संरक्षण अधिनियम 2001विषय पर बुधवार को प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ आंचलिक अनुसंधान केंद्र, पवारखेड़ा, होशंगाबाद के प्रधान वैज्ञानिक डॉ.पीसी मिश्रा व डॉ.अनिमेष चटर्जी,एनपी सुमन,उपसंचालक कृषि, डॉ.स्वप्निल दुबे, वरिष्ठ वैज्ञानिक व प्रमुख, कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा किया गया। डॉ.पीसी मिश्रा द्वारा जैव विविधता एवं उसका संरक्षण विषय पर बताते हुए इसके हृास के मुख्य कारण व मानव जीवन एवं कृषि में इसके महत्व तथा संरक्षण तकनीकों विषय में कृषकों को अवगत कराया गया साथ ही डॉ.मिश्रा द्वारा कृषकों से रायसेन, विदिशा व सीहोर के प्रचलित शरबती गेहूं का उत्पादन बढ़ाने की मांग की क्योंकि शरबती गेहूं में बीटा ग्लूटिन प्रोटीन के कारण रोटी में लचीलापन व स्वादिष्ट बनती है,जबकि मालवीय गेहूं में उत्पादन अधिक होता है, लेकिन वह रोटी बनाने के लिए उपयुक्त नहीं होता है।
कृषकों के द्वारा उपयोग की जा रही एचआई-1544, जीडब्ल्यू-322 का विकल्प जेडब्ल्यू-3288 है व एक पानी के लिए एमपीओ-1255 का उपयोग करें। साथ ही आने वाले दिनों में गेहूं की नई किस्म एमपी-1323 जल्द ही रिलीज होने वाली है जिसकी उत्पादन क्षमता वर्तमान में उपलब्ध किस्मों से अधिक होगी। वैज्ञानिक डॉ. अनिमेष चटर्जी द्वारा कार्यक्रम में कृषक समुदाय से पौधा किस्म एवं कृषक अधिकार अधिनियम 2001 के अन्तर्गत किस्मों का मालिकाना हक किसानों को दिलाने की प्रक्रिया व पंजीकरण के लिए अधिसूचित फसलों की जानकारी दी गई। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 160 कृषकों ने भाग लिया।