
गंजबासौदा(नवदुनिया न्यूज)। नगर के बीचों बीच बहने वाली पारासरी नदी अब गंदे नाले में तब्दील हो गई है। जिसका मुख्य कारण अतिक्रमण है। जो नदी के दोनों किनारों पर लगातार होता जा रहा है। किसी समय में कल कल करती बहने वाली इस नदी के दोनों ओर असरदार लोगों ने कब्जा कर लिया। जिस कारण इसके घाट तो पूरी तरह गायब हो गए और जो सरकारी रिकार्ड में इसका क्षेत्रफल बताया गया है अब उसका चौथाई हिस्सा भी नहीं बच सका है। शहर के जानकार बताते हैं कि किसी जमाने में यह प्राचीन कहे जाने वाली पारासरी नदी का क्षेत्रफल काफी लंबी चौड़ी जगह में फैला हुआ था, जिस कारण इसमें 12 महीने पानी का बहाव तो बना ही रहता था साथ ही नगर के चौपाया पशु भी यहां अपनी प्यास बुझाने आते थे। लेकिन विगत दो तीन दशाकों से इस नदी के दोनों ओर असरदारों ने कब्जा कर लिया। यहां तक की किनारे पर ही तीन तीन मंजिला भवन तक निर्माण कर दिए हैं। इस नदी पर अतिक्रमण को लेकर शहर के जागरूक नागरिकों ने पूर्व में कई बार प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों को शिकायतें और ज्ञापन भी सौंपे। लेकिन असरदार लोगों का अतिक्रमण हटाए जाने की हिम्मत प्रशासन नहीं दिखा पाया। जिसके फलस्वरूप बची जगह पर भी यह असरदार लोग अतिक्रमण करते जा रहे हैं। प्रशासन की अनदेखी और जनप्रतिनिधियों का मौन धारण करना भी कहीं न कहीं कई प्रश्न खड़े करता है। आज तक इस प्राचीन नदी के घाटों से न तो आज तक अतिक्रमण हटाया गया और न ही इस नदी की भूमि की सुरक्षा हेतु कोई पहल की गई। अब इतने बदतर हालात हो गये हैं कि अब यह नदी के घाट सुकड़ गये हैं और यह गंदे नाले में तब्दील होती दिखाई दे रही है।
मोतिया नाला भी अतिक्रमणकारियों की भेंट चढ़ा
इसी तरह शहर के मोतिया नाले का हाल देखा गया है। यह वार्ड 1 रामनगर से निकलकर भावसार पुलिया के पास से होकर एसडीएम बंगले के पीछे करीब एक किमी तक निकला हुआ था। इस पूरे मोतयिा झोरे के नाम से सरकारी रिकार्ड में दर्ज इस पर भी असरदार लोगों द्वारा कब्जा कर प्लाट काटकर बेच दिये गये। यहां तक की वार्ड क्रमांक 5 और 6 के बीच में तो अतिक्रमणकारियों ने पूरी हद की सीमाएं लांघकर इस नाले में पिलर निकलवाकर पक्के मकान तक निमार्णाधीन करा दिये गये और कुछ भूमाफियाओं ने पूरे लंबे चौड़े मोतिया झोरे की जमीन पर कब्जा कर बाद में प्लाट काटकर बेच दिये। अब इस पुराने रिकार्ड में दर्ज मोतिया झोरे का अस्तित्व ही बिलुप्त होता जा रहा है। यह भी वार्ड क्रमांक 1 में तो पुराने रिकार्ड में रामनगर क्षेत्र में करीब 60 से 70 फिट चौड़ा बताया जाता था। लेकिन अब तो यह अतिक्रमण के कारण सिकुड़कर मात्र 15 से 20 फिट के गंदे नाले में तब्दील होकर रह गया है। वहीं वार्ड क्रमांक 3 और 4 तथा वार्ड क्रमांक 6 के बीच से निकला यह झोरा अब गंदे नाले में पूरी तरह तब्दील हो गया है।
बारिश में नाले का पानी घरों में आता है
वार्ड क्रमांक 6 और 4 के बीच तो इस नाले के ऊपर बड़े बड़े पिलर खड़े कर अतिक्रमणकारियों ने मकान बना लिये है और जब तेज बारिश होती है तो उस दौरान इस झोरे में बस्ती का पानी एकित्रत हो जाने के कारण बहाव जाता हो जाता है। जिससे यहां बने कच्चे पक्के मकानों में नाले का पानी घुसने लगता है और प्रशासन द्वारा उन हालातों मे इन लोगों की मदद करने के इंतजाम भी किये जाते हैं परंतु प्रशासन द्वारा यह खोजबीन नहीं की जाती कि आखिर यह अतिक्रमण कराने की अनुमति किसने दी। नगर में भू माफियाओं के खिलाफ कोई कड़े कदम नहीं उठाये जा रहे हैं।
पारासरी के किनारों तथा मोतिया नाले के क्षेत्र में अतिक्रमण होने की जानकारी है। शीघ्र यहां सर्वे कराकर नियम अनुसार कार्यवाही नपा द्वारा कराई जाएगी, जहां हो सकेगा वहां अतिक्रमणकारियों को भी हटाया जायेगा।
- निशांत सिंह ठाकुर, नपा सीएमओ गंजबासौदा।