विदिशा। शहर के धनाढ्यों से संबंधों की पोल खुलने और पैतृक संपत्ति को हड़पने के लिए अपने ही पति गोपाल गोयल को बेरहमी से मौत के घाट उतारने वाली नीलम गोयल और उसके तीन अन्य साथियों को एडीजे कोर्ट ने बुधवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। वहीं, इसी हत्या में साक्ष्य छुपाने के आरोप में दोषी नीलम की बुजुर्ग मां और युवा भाई को तीन-तीन साल की सजा से दंडित किया है। शहर के संपन्न परिवार से ताल्लुक रखने वाले गोपाल की 27 जून 2010 को हत्या की गई थी। 6 साल बाद आए इस फैसले से गोपाल के युवा पुत्र और पुत्री सहित पूरा परिवार काफी खुश हैं।
शहर के सबसे चर्चित गोपाल हत्याकांड के फैसले को लेकर बुधवार को दिन भर जिला न्यायालय परिसर में गहमा गहमी का माहौल रहा। फैसले की अंतिम सुनवाई होने के कारण दोनों पक्षों के अलावा अन्य लोग भी मौजूद थे। दोपहर के समय प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश वंदना जैन ने गोपाल गोयल हत्याकांड की सुनवाई करते हुए जैसे ही अपना फैसला सुनाया, वैसे ही न्यायालय कक्ष में सन्नाटा पसर गया। न्यायाधीश जैन ने गोपाल गोयल की हत्या की मुख्य आरोपी व उसकी पत्नी नीलम गोयल, रामस्वरूप, वीरेन्द्र ठाकुर और शुभम पंडित को आजीवन कारावास और तीन-तीन माह सश्रम कारावास तथा श्यामाबाई अग्रवाल एवं अजय अग्रवाल को तीन-तीन साल की कैद एवं एक-एक माह के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। सजा सुनते ही सभी आरोपियों के चेहरों पर हवाईयां उड़ गईं। फैसले के बाद करीब दो घंटे तक न्यायिक प्रक्रिया चलती रही। इसके बाद उन्हें पुलिस वाहन से जिला जेल पहुंचाया गया। जेल सूत्रों के अनुसार नीलम को भोपाल स्थित महिला सेन्ट्रल जेल भेज दिया जाएगा। सूत्रों के अनुसार नीलम इस मामले में पहले ही 306 दिन जेल में रह चुकी है। वह इसके बाद से जमानत पर छूटी थी।
गला दबाकर और चाकू मारकर की थी हत्या
शासकीय अधिवक्ता केएल किरार के मुताबिक गोपाल गोयल की हत्या 27 जून 2010 की रात को उसकी पत्नी नीलम और उसके सहयोगी वीरेन्द्र ठाकुर, शुभम पंडित और रामस्वरूप ने की थी। नीलम ने रात के समय अपने पति को आमरस में नींद की गोलियां मिलाकर दीं। इसके बाद पलंग पर रामस्वरूप वीरेन्द्र और शुभम ने गोपाल का गला दबा दिया। इसके बाद भी नीलम को भरोसा नहीं हुआ तो उसने शुभम को किचन से चाकू लाकर दिया। और इसी चाकू से शुभम ने गोपाल पर वार कर उसकी हत्या कर दी। इसके बाद इन चारों आरोपियों ने गोपाल का शव गैरिज में खड़ी कार में रखा और रात के समय ही कार से यह शव देहगांव के पास एक गांव के कुएं में डाल दिया। और मारूति कार को सुल्तानपुर के पास नगतरा के करीब छोड़ दिया था।
गोपाल को इसलिए उतारा था मौत के घाट
शासकीय अधिवक्ता किरार के मुताबिक न्यायालय की सुनवाई में उजागर हुआ कि आरोपी नीलम गोयल के शहर के कुछ धनाड्य व्यक्तियों से अनैतिक संबंध थे। वह उनसे बड़ी राशि उधार भी ले चुकी थी। इसके अलावा वह अपने घर से भी राशि चुराकर अपने मायके में भेजती थी। इसी बात को लेकर गोपाल और नीलम के बीच अक्सर विवाद होता था। इसी विवाद के चलते नीलम अपने मायके चली गई थी। करीब 10 माह तक मायके में रहने के बाद वह सुनियोजित साजिश के तहत पुनः अपने ससुराल पहुंची और पहुंचने के एक हफ्ते के भीतर ही उसने अपने ही मायके के चार अन्य लोगों के साथ मिलकर पति को मौत के घाट उतार दिया। मृतक गोपाल के परिजनों के बयानों के अनुसार नीलम ने अपने संबंधों की पोल खुलने और मृतक की संपत्ति हड़पने के लिए पति की हत्या की थी।
तीन दिन चली बहस, 55 पेज का फैसला
गोपाल हत्याकांड की बहस लगातार तीन दिनों तक कोर्ट में चली। इसमें मृतक की ओर से शासकीय अधिवक्ता किरार ने बहस की। वहीं आरोपियों की ओर से 5 अधिवक्ताओं की टीम बहस में शामिल हुई। सुनवाई के दौरान लगभग 40 लोगों के बयान लिए गए। इसके बाद सारे बयानों और साक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए अपर सत्र न्यायाधीश जैन ने 55 पेज का फैसला सुनाया।
बेटा बोला, उम्मीद के अनुरूप आया फैसला
न्यायालय के फैसले के बाद गोयल परिवार में खुशी का माहौल है। उनके 27 वर्षीय बेटे गणेश ने नवदुनिया से बातचीत में कहा कि कोर्ट का फैसला उम्मीद के अनुरूप आया है। उनका कहना था कि उनके पिता की हत्या के बाद 6 साल तक उन्हें आज के दिन का इंतजार था। इन 6 साल की तकलीफों को बयां करना भी मुश्किल है। उन्होंने कहा कि वे अपने पिता के हत्यारों की सजा को बरकरार रखने के लिए अंतिम स्तर तक प्रयास करेंगे। मालूम हो इस मामले में मृतक की बेटी चेरी उर्फ महक के बयानों ने ही आरोपियों तक पहुंचने में मदद की। उसी की जानकारी के बाद पुलिस ने नीलम के काल डिटेल खंगाले थे। जिसमें हत्या के समय उसका आरोपियों से फोन पर संपर्क बना रहने की पुष्टि हुई थी।