Vidisha News : विदिशा(नवदुनिया प्रतिनिधि)। कोरोना की तीसरी लहर में मरीजों को आक्सीजन की कमी न हो इसके लिए जिले में तीन आक्सीजन जनरेशन प्लांट लगाए गए थे। पहले विदिशा जिला अस्पताल में, बाद में बासौद और फिर सिरोंज में भी करोड़ों की लागत से प्लांट स्थापित कराए गए। केवल विदिशा को छोड़ दें तो बाकी दो प्लांट शोपीस ही बनकर रह गए हैं। सिरोंज में तकनीकी विशेषज्ञ नहीं होने से प्लांट कभी शुरू ही नहीं हुआ तो वहीं बासौदा में भी कभी कभी इसका उपयोग होता है।
कोरोना की दूसरी लहर में आक्सीजन की कमी के कारण कई लोगों की मौत हुई। इसके बाद केंद्र व राज्य सरकार ने अस्पताल में आक्सीजन जनरेशन प्लांट लगाने की तैयारी की। विदिशा जिला अस्पताल परिसर में एक दिसंबर 2021 को प्लांट का शुभारंभ हुआ। इसकी टेस्टिंग कर मरीजों के लिए इसे शुरू कर दिया गया। करीब दो करोड़ रुपये की लागत से लगे ये आक्सीजन जनरेशन प्लांट बाहर की हवा को खींचकर आक्सीजन बनाते हैं। इसे लगातार चलाए रखना पड़ता है तब जाकर इससे सीधे मरीज तक लगातार आक्सीजन पहुंचाई जाती है। इस चलाने के लिए तकनीकी विशेषज्ञ की जरूरत होती है। विदिशा और बासौदा में एक एक तकनीकी विशेषज्ञ हैं जो प्लांट का मेंटनेंस करते हैं। हालाकि वारंटी में होने पर कंपनी भी इसकी देखरेख करती है। लेकिन सिरोंज में जब से प्लांट स्थापित हुआ तब से कोई तकनीकी रूप से विशेषज्ञ कर्मचारी नहीं मिला। इसलिए तब से प्लांट शुरू नहीं हो सका।
सिरोंज में लाइन तक डाली गई
सिरोंज में लगे आक्सीजन जनरेशन प्लांट में पाइप लाइन डालने का काम तक नहीं हुआ। यानि प्लांट से पाइप के माध्यम से सीधे अस्पताल तक ले जाने के लिए लाइन बिछाई जानी थी, इस लाइन को अस्पताल के मेनिफोल्ड में लाकर जोड़ना था तब प्लांट चलने पर आक्सीजन सीधे अस्पताल के बेड तक पहुंच पाती। हालाकि सिरोंज में तकनीकी कर्मचारी नहीं होने से ये काम नहीं हो पाया। पूरे जिले में केवल दो तकनीकी विशेषज्ञ हैं एक विदिशा जिला अस्पताल में और दूसरा बासौदा में है। विदिशा में एक ही कर्मचारी है इसलिए यहां प्लांट 24 घंटे तक नहीं चल पाता। दिनभर कर्मचारी उपस्थित रहकर प्लांट चलाता है, रात में बंद कर दिया जाता है। यदि दो कर्मचारी हों तो प्लांट 24 घंटे चल सकता है। वहीं बासौदा में दिनभर में दो से चार घंटे तक ही प्लांट चलता है।
जिला अस्पताल में दिनभर चलता है प्लांट
जिला अस्पताल में बना आक्सीजन जनरेशन प्लांट का उपयोग शुरुआत से ही होने लगा है। यहां प्लांट दिनभर चलाया जाता है और मरीजों को सीधे आक्सीजन की सप्लाई होती है। जिला अस्पताल में रात के समय प्लांट बंद रहता है। इस वक्त लिक्विड आक्सीजन मरीजों को सप्लाई होती है। प्लांट चालू होने से अस्पताल में लिक्विड आक्सीजन के टैंक पर निर्भरता कम हो गई है। इसकी खपत में भी कमी आई है। पहले जहां एक माह में करीब 10 हजार किलो लीटर लिक्विड आक्सीजन की खपत होती थी प्लांट लगने के बाद ये खपत 6 हजार किलोलीटर पर आ गई है। इससे शासन का करीब एक से डेढ़ लाख रुपये प्रतिमाह बच रहा है। हालाकि प्लांट चलने से अस्पताल में बिजली की खपत बढ़ी है तो वहीं कर्मचारी का खर्च भी उठाना पड़ता है। लेकिन सबसे बड़ा फायदा भोपाल से लिक्विड आक्सीजन सप्लाई पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।
प्लांट चलाने के लिए तकनीकी रूप से दक्ष कर्मचारी की आवश्यकता है। हमारो पास विदिशा और बासौदा में कर्मचारी हैं। सिरोंज में नहीं है लेकिन जरूरत पड़ने पर हम बासौदा से भेज देते हैं। जिला अस्पताल में आक्सीजन की कमी नहीं है प्लांट के अलावा 50 बड़े सिलेंडर, 50 कंसंट्रेटर भी उपलब्ध हैं।
- डा संजय खरे, प्रभारी सीएमएचओ