नवदुनिया प्रतिनिधि, विदिशा। जिला जेल में एक विचाराधीन बंदी द्वारा शौचालय में फांसी लगाने की घटना ने जेल की सुरक्षा को सवालों में घेरे में ला दिया है। केंद्रीय जेल अधीक्षक की प्रारंभिक जांच में दो प्रहरियों की लापरवाही पाई गई है। इधर, जांच में यह भी पाया गया है कि मृतक ने जिन कागजों पर सुसाइड नोट लिखा, वही उसे सीताराम नाम लिखने के लिए दिया गया था।
मालूम हो शनिवार दोपहर को मोहना खेजड़ा निवासी 21 वर्षीय मोनू चौकसे ने जेल परिसर में बने शीचालय में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी।।पुलिस को उसके पास से दो पेज का सुसाइड नोट भी मिला है। जेल प्रहरी आरक्षक संजय चतुर्वेदी ने लिखित रूप से पूरी जानकारी सिविल लाइन थाने में दी है। इस तहरीर में बताया कि विचाराधीन बंदी मोनू चौकसे पुत्र रमेश चौकसे की जिला जेल विदिशा में मृत्यु हो गई। मोनू चौकसे आयु 21 वर्ष निवासी मोहना खेजड़ा थाना सिविल लाइन म.प्र. न्यायालय, जी.सी. शर्मा विशेष न्यायाधीश के द्वारा अपराध क्रमांक 427/24 धारा 376(2)N. 313 भादवि 3(2)V SC/ST के अंतर्गत दिनांक 17 मई को जेल भेजा गया था। 1 जून को दोपहर को जेल के अंदर लाकअप गणना के समय लगभग 12 बजे मोनू चौकसे के न मिलने पर स्टाफ ने उसकी खोजबीन की। इस दौरान द्वारा मोनू चौकसे शौचालय क्रमांक सात में तौलिये के कपडे़ से फांसी लगाकर लटका हुआ मिला। जेल के फार्मासिस्ट पदम सिंह परते द्वारा जांच करने के उपरान्त बंदी मृत होना बताया।
बंदी की मौत की सूचना मिलने पर भोपाल से केंद्रीय जेल अधीक्षक राकेश कुमार भांगरे, सीएसपी अतुल सिंह, सिविल लाइन थाना प्रभारी शहबाज खान सहित तीन थानों का बल जेल पहुंचा। मामले की जांच करने के लिए प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट गजेंद्र रावत भी पहुंचे। यहां फारेंसिक टीम ने भी जांच पड़ताल की। करीब चार घंटे बाद शाम चार बजे उसका शव जेल से बाहर निकाला गया। पुलिस ने मेडिकल कालेज में पोस्टमार्टम कराया। इस दौरान मृतक की दो बहनें, बड़ा भाई, चाचा भी जेल के अंदर ही मौजूद रहे। मृतक मोनू के पिता रमेश चौकसे किसान हैं। मोनू भी खेती में हाथ बंटाता था। वह इंटरनेट मीडिया पर रील भी बनाता था। उसने इंस्टाग्राम पर कई रील बनाकर पोस्ट की हैं।
जेल में शौचालय का दरवाजा तीन फीट ऊंचाई का होता है, ऊपर से खुला होता है। इस छोटे से गेट पर लटककर मोनू ने जान दे दी। पीएम करने वाले डाक्टरों का कहना है कि गले की नस और हड्डी काफी संवेदनशील होती है और तेज झटके में इसे नुकसान पहुंचता है। इस मामले में भी यही हुआ है। इधर , जेल विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि विदिशा जेल में यह पहली घटना है लेकिन देश की अन्य जेलों में इस तरह की घटनाएं हो चुकी है। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में भी एक कैदी ने इसी तरह शौचालय के गेट पर झूलकर फांसी लगा ली थी।
मेडिकल कालेज के अस्पताल में शाम के समय मजिस्ट्रेट और स्वजन की मौजूदगी में तीन डाक्टरों की टीम ने मृतक का पोस्ट मार्टम किया। डाक्टरों की इस टीम में डा.विवेक चौकसे, डा.विशाल बावेजा और डा. राजेंद्र कुशवाह शामिल थे। इस पोस्ट मार्टम की वीडियोग्राफी भी कराई गई है। डा. चौकसे के मुताबिक प्रारंभिक रिपोर्ट में मौत का कारण फांसी लगाना पाया गया है।
मृतक मोनू से सुसाइड नोट में लिखा है कि एफआरआर के एक दिन पहले लड़की उसके साथ थी, लड़की के पिता ने कहा कि मुझे 10 लाख रुपये दे दो और तू अब घर मत आना, लेकिन लड़की ने कहा कि उसे घर जाना है पापा मुझे घर ले चलो। लड़की के पिता उसे घर ले गए और उसके साथ मारपीट की। लड़की ने रात में फोन किया और बताया कि पापा मुझे जबर्दस्ती थाने लेकर जा रहे हैं एफआइआर करने, मुझे थाने से निकालकर ले चलो। लड़की बात करने आना चाहती थी लेकिन उसके पापा ने नहीं आने दिया। उसे कहीं पहुंचा दिया। मोनू ने लिखा है कि उसके और लड़की के प्यार के बारे में पूरे गांव काे पता था।
इधर मृतक मोनू के स्वजन ने बताया कि युवती गर्भवती हो गई थी। उसके पिता ने अस्तपाल में उसका गर्भपात करवाया था। स्वजन का आरोप है कि युवती एफआइआर नहीं कराना चाहती थी, लेकिन पुलिस ने फिर भी केस दर्ज किया। इधर परिजनों ने देर शाम को पीएम के बाद शव लेते समय सुसाइड नोट में लिखे नामों पर कार्रवाई की मांग की। पुलिस के आश्वासन के बाद वे शव गांव लेकर पहुंचे। थाना प्रभारी शहबाज खान सहित पुलिस टीम भी गांव पहुंची थी और अपनी निगरानी में ही देर शाम को उसका अंतिम संस्कार कराया।
इस मामले की न्यायिक जांच तो चलेगी ही, इसके अलावा पुलिस जांच भी साथ चलेगी। सुसाइड नोट की हैंडराइटिंग एक्सपर्ट से जांच कराई जाएगी। इसमें जो नाम लिखे हैं उन सभी के बयान होंगे।
– दीपक कुमार शुक्ला, एसपी, विदिशा।