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- ट्यूबवेल में मोटर लगाकर भूले ठेकेदार, खाली पड़ी है पेयजल टंकीया
फोटो 15 विदिशा। सुआखेड़ी के स्कूल में अब तक नल से जल नहीं पहुंचा।
फोटो- 14 विदिशा। ढोलखेड़ी में स्थित स्कूल में नलों में लगी टोटियां टूट गई।
विदिशा( नवदुनिया प्रतिनिधि) जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित सरकारी स्कूलों, आंगनबाड़ियों में बच्चों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए जल जीवन मिशन के तहत नल से जल पहुचाने का काम किया जा रहा है लेकिन विभागीय अधिकारियों की अनदेखी और ठेकेदारों की लापरवाही के कारण यह योजना शुरुआती दौर में ही दम तोड़ रही है॥किसी स्कूल में ठेकेदार ने ट्यूबवेल में मोटर डालकर छोड़ दिया है तो कही टोटियां इतनी घटिया लगाई कि बच्चों के पानी पीते समय टूट गई। आज भी इन स्कूलों के बच्चे हैण्डपम्प से प्यास बुझाने को मजबूर है।
जिले में पिछले एक साल से जल जीवन मिशन के तहत 1998 सरकारी स्कूलों में नल से जल पहुंचाने के लिए काम किया जा रहा है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग( पीएचई) द्वारा यह काम ठेकेदारों के माध्यम से कराया जा रहा है। इस योजना के तहत ठेकेदार को हैण्डपम्प में मोटर डालकर पेयजल टंकी को भरना है। टंकी के माध्यम से बच्चों को नल के माध्यम से जल उपलब्ध कराना है। नल के लिए अलग से स्टैंड बनाना है। शौचालय में पाइप लाइन के माध्यम से पानी पहुंचाना है। स्कूल के शिक्षक बताते है कि अधिकारियों की अनदेखी के कारण ठेकेदार मनमर्जी से काम कर रहे है। दूसरे जिलों के ठेकेदारों को काम देने के कारण वे गड़बड़ी आने पर मरम्मत तक नही करते। शौचालय में पाइप लाइन डालने की ठेकेदार के कर्मचारियों ने खुदाई की लेकिन फिलिंग को छोड़ दिया गया। शिक्षक बताते है कि वे पीएचई विभाग के अधिकारियों से भी शिकायत कर चुके है लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती।
बच्चों को एक बार भी नहीं मिला नल से जल
शहर के करीब बसे गांव जीवजीपुर में स्थित प्रायमरी स्कूल में 52 बच्चें पढ़ते है। यहां चार माह पहले हैण्डपम्प में मोटर डाली थी, जो एक बार शुरू हुई। इसके बाद से बन्द है। स्कूल के शिक्षक संजय शर्मा के मुताबिक स्टार्टर खराब होने की वजह से मोटर शुरू नहीं हुई। बच्चे अब भी घर से बोतल में पानी लाकर अपनी प्यास बुझाते है। इसी तरह ग्राम ढोलखेड़ी प्रायमरी स्कूल की शिक्षिका गीता गुप्ता बताती है कि ट्यूबवेल में मोटर तो डाल दी, लेकिन अब तक पानी की सप्लाई शुरू नही हुई है। बच्चों के पानी पीने के लिए बनाया गया स्टैंड और नलों की टोटियां भी टूट गई है। इसी तरह ग्राम आवेला के प्रायमरी स्कूल में कार्य गुणवत्ता पूर्ण नहीं किया गया है। यहां नलों में टोटियां नहीं लगी है । मिडिल स्कूल में पाइप लीकेज है एवं मोटर गुणवत्तापूर्ण ना होने कारण चल नहीं रही है।
पठारी हवेली में महीने भर से बन्द पड़ा है हैण्डपम्प
शहर से सटे ग्राम पठारी हवेली के स्कूल के और बुरे हाल है। यहां पर अब तक नल से जल पहुंचाने की कोई व्यवस्था नहीं है। स्कूल के सामने एक हैण्डपम्प लगा है, जो एक माह से बन्द पड़ा है। स्कूल के शिक्षक लखन सिंह रघुवंशी बताते है कि वे पीएचई के तत्कालीन एसडीओ ललवानी को कई बार शिकायत कर चुके लेकिन अब तक हैण्डपम्प ठीक नहीं हुआ। मध्यान्ह भोजन के बाद बच्चों को पानी पीने के लिए घर जाना पड़ता है। ग्राम सुआखेड़ी के शिक्षक नरेंद्र श्रीवास्तव का कहना था कि उनके स्कूल में अभी नल से जल पहुंचाने का काम ही शुरू नहीं हुआ है।
741 स्कूलों में नहीं पहुंचा नल से जल
करोड़ों रुपयों के लागत के जल जीवन मिशन में 31 मार्च तक जिले के 1998 स्कूलों में नल से जल पहुंचाना था लेकिन अब तक 1257 मे ही नल से जल की व्यवस्था हो पाई है, शेष 741 स्कूलों में बच्चों के पेयजल के लिए नल से जल की व्यवस्था नहीं हो पाई है। इसी तरह जिले को 1007 आंगनबाड़ियों में नल से जल की व्यवस्था करना है, इसमें से अब तक 597 केंद्रों पर ही यह व्यवस्था हो पाई है। पीएचई के अधिकारी अब डेढ़ माह में सभी स्कूलों में नल से जल पहुंचाने की बात कर रहे है।
शिक्षकों की रिपोर्ट के बाद ही होगा भुगतान
पीएचई के कार्यपालन यंत्री संतोष साल्वे का कहना है कि एक दिन पहले जल जीवन मिशन की समीक्षा हुई थी, जिसमें भी इस तरह की शिकायतें मिली थी।जिस पर कलेक्टर उमाशंकर भार्गव ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों से कहा कि वे स्कूलों से योजना के सम्बंध में रिपोर्ट प्राप्त करें।जहां योजना तकनीकी दिक्कतों की वजह से बन्द है, उसे ठेकेदार के माध्यम से दुरुस्त कराए। साल्वे ने कहा कि जब तक सारे स्कूलों में योजना सुचारू रूप से संचालित नहीं होगी, तब तक ठेकेदार को अंतिम भुगतान नहीं किया जाएगा।