क्या आपके साथ भी बचपन में ऐसा हुआ है कि सर्दी-जुकाम, पेटदर्द या बुखार होने पर पैरेंट्स आपको घर के पास वाले होम्योपैथिक क्लिनिक में ले जाते थे? वहां के डॉक्टर अंकल आपको मीठी-मीठी गोलियां देते थे...? इंजेक्शन का दर्द, न कड़वी दवाओं से मुंह का स्वाद खराब होने की परेशानी...। जी हां, हम होम्योपैथिक गोलियों की बात कर रहे हैं। आज एक बार फिर होम्योपैथी की इन छोटी-छोटी, मीठी गोलियों को न सिर्फ एलोपैथिक दवाओं के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है बल्कि होम्योपैथी युवाओं के लिए एक अच्छे करियर ऑप्शन के रूप में भी उभरा है। भारत में भी होम्योपैथिक चिकित्सा के क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं तलाशी जा रही हैं, इसलिए बड़ी संख्या में युवा इसे नए करियर ऑप्शन के रूप में देख रहे हैं।
प्राकृतिक उपचार
होम्योपैथिक चिकित्सा में प्राकृतिक उपचार के साथ शरीर की अपनी उपचारात्मक शक्तियों को स्टिम्युलेट कर मरीजों का इलाज किया जाता है। होम्योपैथिक चिकित्सक यह बात अच्छी तरह से जानते हैं कि इंसान का शरीर, मन व भावनाएं एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं, लेकिन देखा जाए तो ये पूर्ण रूप से एक ही हैं। इसी ध्ाारणा के आधार पर होम्योपैथिक चिकित्सक प्राकृतिक उपचार को अंजाम देते हैं, जो मरीज के शारीरिक और मानसिक
लक्षणों के अनुरूप होते हैं। होम्योपैथिक चिकित्सक उपचार के दौरान मरीज के शारीरिक लक्षणों के अलावा उसकी लाइफस्टाइल और भावनात्मक पहलुओं पर भी गौर करते हैं।
कौन-से कोर्स?
होम्योपैथी का कोर्स तीन स्तरों पर किया जा सकता है। पहला स्तर ग्रेजुएशन है, दूसरा पोस्ट-ग्रेजुएशन और तीसरा स्तर पीएचडी। ग्रेजुएशन की डिग्री को बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएचएमएस) कहा जाता है। अगर साइंस लेकर 12वीं की परीक्षा पास की हो, तो आप होम्योपैथी की प्रवेश परीक्षा में शामिल हो सकते हैं, लेकिन ऐसा तभी संभव है, जब आपके सिलेबस में बायोलॉजी अनिवार्य रूप से शामिल हो। इस पाठ्यक्रम की अवधि साढ़े पांच साल है। इसमें एक साल की इंटर्नशिप अनिवार्य है। पोस्ट ग्रेजुएशन को 'एमडी होम" कहा जाता है। इसकी तीन साल की अवधि है।
पीएचडी का रास्ता
अब सात नए विषयों में भी एमडी कोर्स शुरू होने वाले हैं। इसके अलावा यदि कोई पीएचडी करना चाहता है, तो
उसके लिए मान्यता प्राप्त होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज से मिली पोस्ट ग्रेजुएशन डिग्री पीएचडी का रास्ता आसानी से खोल सकती है। डिग्री का सीसीएच अधिनियम की दूसरी अनुसूची में शामिल होना भी अनिवार्य है। यह डिग्री दो शाखाओं में बंटी है: पीडिएट्रिक्स और फॉर्मेसी।
करियर कहां-कहां?
देश और विदेश में होम्योपैथी के क्षेत्र में रोजगार के कई अवसर हैं। एक होम्योपैथिक प्रैक्टिशनर को विभिन्न सरकारी और निजी होम्योपैथिक अस्पतालों में मेडिकल ऑफिसर की नौकरी मिल सकती है। इसके अलावा होम्योपैथिक दवाओं का स्टोर या क्लिनिक भी खोला जा सकता है। होम्योपैथिक चिकित्सक होम्योपैथी की
दवा बनाने वाली कंपनियों के साथ भी जुड़ सकते हैं। बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी डिग्री धारक कुछ वर्षों के अनुभव के बाद फार्मेसी भी खोल सकता है।
कहां से पढ़ें?
भारत में ऐसे कई कॉलेज और यूनिवर्सिटी मौजूद हैं, जहां होम्योपैथी के लिए अंडरग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स उपलब्ध हैं। इनमें विजयवाड़ा स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस और बेंगलुरू स्थित राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेस को होम्योपैथी की पढ़ाई के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इसके अलावा कुछ प्रमुख होम्योपैथी कॉलेज हैं:
- येरेला होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर, मुंबई
- वेनुताई यशवंतराव चव्हाण होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, कोल्हापुर
- वसुंधरा राजे होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, ग्वालियर
- स्वामी विवेकानंद होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज, भावनगर
- अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली
- बेंगलुरू मेडिकल कॉलेज और अनुसंधान संस्थान, बेंगलुरू।
इतना ही नहीं, महाराष्ट्र में यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेस और जयपुर में होम्योपैथी यूनिवर्सिटी में पीएचडी के कोर्स भी उपलब्ध हैं। सेंट्रल काउंसिल ऑफ होम्योपैथी इन सभी यूनिवर्सिटीज की नियामक संस्था है।