Hello Naidunia Indore: नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। आयुर्वेद में अब लोगों का रुझान बढ़ने लगा है। कोरोना के बाद से आयुर्वेदिक पद्धति से इलाज करवाने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ने लग है। इसके साथ ही अब डाक्टर बनने की चाह रखने वाले विद्यार्थी भी एमबीबीएस के साथ ही आयुर्वेद में भी आना पसंद करने लगे हैं। पहले विद्यार्थियों को ऐसा लगता था कि डाक्टर मतलब एमबीबीएस और सिर्फ उसी में अच्छा करियर बन सकता है, लेकिन अब विद्यार्थी आयुर्वेद को समझने लगे हैं।
यह भी समझने लगे हैं कि इसमें भी वह अच्छा करियर बना सकते हैं। यही कारण है कि विदेशों से भी विद्यार्थी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की पढ़ाई के लिए हमारे देश में आने लगे हैं। आयुर्वेदिक कालेज में दाखिला लेने के लिए विद्यार्थियों को नीट देना अनिवार्य होती है। नीट के अंक के आधार पर ही उन्हें कालेज मिलता है। हमारे प्रदेश में आयुर्वेद के लिए सात शासकीय और करीब 20 निजी कालेज हैं।
यह बात
अष्टांग आयुर्वेदिक कालेज के प्राचार्य डा. अजीत पाल सिंह चौहान ने कही। वे मंगलवार को हेलो नईदुनिया कार्यक्रम में
आयुर्वेद में करियर की संभावना पर पाठकों के सवालों के जवाब दे रहे थे। डा. चौहान ने बताया कि अब आयुर्वेद कालेज में लड़कियों की संख्या भी बढ़ने लगी है। शहरी क्षेत्र के साथ ही गांव से भी बड़ी संख्या में विद्यार्थी आने लगे हैं। वहीं कुछ विद्यार्थी बिना कोचिंग के बिना ही नीट में अच्छे अंक लाकर भी दाखिला लेते हैं।
सवाल और उनके जवाब
सवाल- मेरी भतीजी को आयुर्वेद की पढ़ाई करना हो तो दाखिला कैसे मिलेगा? - राजेश अग्रवाल, देवास
जवाब- इसके लिए नीट देना अनिवार्य होता है। इसके बाद काउंसलिंग होती है। फिर अंकों के आधार पर कालेज में दाखिला होता है। बीएएमएस का पाठ्यक्रम साढ़े चार वर्ष का होता है। इसके बाद एक साल की इंटर्नशिप होती है।
सवाल- आयुर्वेद में पाठ्यक्रम के बाद करियर कैसे बना सकते हैं? - संजय, इंदौर
जवाब- बीएएमएस करने के बाद रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है। इसके बाद प्रैक्टिस की जा सकती है। विद्यार्थी जहां चाहे वहां पर प्रैक्टिस कर सकता है। शासकीय और निजी अस्पताल में। वहीं अन्य प्रदेश में प्रैक्टिस करना चाहते हैं तो उस प्रदेश से रजिस्ट्रेशन करवाना होता है।
सवाल- टीवी में आयुर्वेदिक दवाइयों को लेकर कई कार्यक्रम आते हैं। कई कैंप में भी इसकी दवाइयां मिलती हैं। सही है या नहीं कैसे पहचानें? - राजेश चौहान, इंदौर
जवाब- हमें यह जानना चाहिए कि जो भी दवाई बताई जा रही है, उसे बनाने वाले डाक्टर की डिग्री क्या है।
सवाल- क्या आयुर्वेदिक कोर्स में छात्रवृत्ति मिलती है ? - अनिल कुछालिया, गुमास्ता नगर
जवाब- आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों को आयुर्वेदिक कोर्स में छात्रवृत्ति मिलती है। एमपी बोर्ड में 75 प्रतिशत से अधिक और सीबीएसई में 85 प्रतिशत से अधिक परिणाम वाले सभी वर्ग के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति मिलती है।
सवाल- बीएएमस के विद्यार्थियों को रिसर्च के लिए सरकार की और क्या मदद मिलती है? - अखिल भार्गव, इंदौर
जवाब- विद्यार्थियों को रिसर्च के लिए केंद्र सरकार की योजना के तहत 50 हजार रुपये का स्टाइपंड मिलता है। इस योजना का लाभ शासकीय और निजी कालेज का कोई भी विद्यार्थी ले सकता है। रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए इस योजना को शुरू किया गया है।