जॉब पाने के लिए इंटरव्यू के अलावा ग्रुप डिस्कशन भी अब काफी आम हो गए हैं। मगर अब भी अनेक युवा ग्रुप डिस्कशन को लेकर उतने सहज नहीं होते जितने वे रिटन एग्जाम या इंटरव्यू को लेकर होते हैं। तो चलिए देखते हैं कि ग्रुप डिस्कशन में कैसे बाजी मारी जा सकती है।
सबसे पहले तो यह समझना जरूरी है कि ग्रुप डिस्कशन में आखिर आंका क्या जा रहा है। तो नोट कीजिए, इसमें आपको इन बिंदुओं पर तौला जा रहा होता है: सामर्थ्य, सामान्य ज्ञान, विषय के प्रति जागरूकता, आत्मविश्वास, सोचने व संप्रेषण (कम्युनिकेशन) की क्षमता, नेतृत्व क्षमता, टीमवर्क और परिपक्वता।
जागरूक रहें
आम तौर पर ग्रुप डिस्कशन के टॉपिक मुश्किल रखे जाते हैं क्योंकि आपसे यह अपेक्षा रहती है कि आप अपने आसपास के घटनाक्रम के बारे में पूरी तरह जागरूक होंगे। यह विषय सामयिक विषयों की सूची में से चुना गया होता है। याद रहे, आपसे उस विषय का विशेषज्ञ होने की अपेक्षा नहीं की जाती। आपसे बस यह अपेक्षा की जाती है कि आपकी उस विषय के बारे में जानकारी औसत से अधिक होे। आप नियमित रूप से टीवी पर समाचार देखकर, अखबार व पत्रिकाएं पढ़कर तथा ताजा घटनाक्रम से अवगत रहकर अपना सामान्य ज्ञान बढ़ा सकते हैं। इन विषयों पर अपने मित्रों व परिजनों से चर्चा करना अपनी दिनचर्या में शामिल कर लें। हो सके, तो ग्रुप डिस्कशन के लिए अपना एक स्टडी ग्रुप भी बना लें। ग्रुप डिस्कशन की तैयारी कुछ दिनों में नहीं की जा सकती। इसके लिए काफी पहले से खुद को तैयार करना होता है।
सोच को व्यवस्थित करें
किसी भी समसामयिक विषय को लें और उस पर अपनी सोच को व्यवस्थित बनाने के लिए एक ढांचा तय करें।
अभ्यास करते रहें
ग्रुप डिस्कशन का अभ्यास नियमित रूप से करते रहें। अपनी बात बोलकर रखें। हो सके, तो उसे रेकॉर्ड भी करें। अगर वीडियो रेकॉर्डिंग कर सकें, तो और बेहतर होगा क्योंकि आप अपनी बॉडी लैंग्वेज का भी अध्ययन कर उसकी कमियां दूर कर सकते हैं। अपनी रेकॉर्डिंग देख-सुनकर अपना आकलन करें। देखें कि आपने क्या सही किया और क्या गलत।
जब टॉपिक के बारे में आपको कुछ न पता हो
यह संभव है कि ग्रुप डिस्कशन में कोई ऐसा टॉपिक आ जाए, जिसके बारे में आपकी जानकारी लगभग शून्य हो। ऐसे में सबसे पहले तो यह ध्यान रखें कि घबराएं बिल्कुल नहीं। विषय जो भी हो, आपने ग्रुप डिस्कशन की तो तैयारी की ही है। यह आपके काम आएगी। शुरूआत में कुछ मिनट तक डिस्कशन को बहुत ध्यान से सुनें। इससे प्राप्त जानकारी का आकलन करें और फिर उसके बारे में अपनी राय बनाएं। जरूरी नहीं कि आपकी राय सही ही हो मगर यह तार्किक लगनी चाहिए, अच्छी तरह पेश की जानी चाहिए और इससे पैनल को पता लगना चाहिए कि आप कैसे सोचते हैं। कोशिश करें कि दूसरों ने जो कहा, उसी को दोहरा देने के बजाय आप भी डिस्कशन में अपना कुछ योगदान करें।
क्या करें, क्या न करें