अपनी प्रतिभा को पहचान पाना जीवन में सफलता का मूलमंत्र है मगर ज्यादातर लोग इससे अनभिज्ञ होते हैं। असल में इसकी बड़ी वजह यह है कि ज्यादातर लोग अपने टैलेंट को जानने की प्रक्रिया ही नहीं जानते हैं। वे
उसे ही अपना टैलेंट समझने लगते हैं, जो दूसरे उनमें देखते हैं या फिर अपनी प्रतिभा से पूरी तरह से अनभिज्ञ ही रहते हैं। आइए जानें कि आप किस तरह से अपने टैलेंट को पहचान सकते हैं।
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सही सवाल पूछें
अपनी प्रतिभा को पहचानने का सबसे पहला स्टेप है कि आप खुद से सही सवाल पूछें। सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण सवाल अपने बचपन की यादों से जुड़ा पूछें। बचपन में हमारे सामने कई तरह की चीजें होती हैं, लेकिन उनमें से कौन-सी बात हमारे मन पर असर डालती है, इससे यह तय होता है कि हमारा रुझान किस दिशा में है। इसी से जुड़ा दूसरा सवाल है कि बचपन में की गई चीजों में से सबसे ज्यादा क्या करना आपको आनंददायक लगा और क्या वह आज भी आपको करते हुए मजा देता है? वह क्या गतिविधि है जिसे आप लक्ष्य पाने की तरह नहीं करते हैं, बल्कि इसलिए करते हैं कि उसे करते हुए आपको मजा आता है? यदि आप इन सवालों के ईमानदारी से जवाब दे पाते हैं तो समझ लीजिए कि आपने अपने टैलेंट की दिशा को पकड़ लिया है।
प्रतिभा व कौशल में फर्क
प्रतिभा आपके व्यक्तित्व का एक अभिन्न हिस्सा है और आगे चलकर यह आपकी समग्रता का हिस्सा हो जाता है। एक समय ऐसा भी आता है, जब हम अपने इस टैलेंट को अपने कई तरह के कौशल में से ही एक समझते हैं। जैसे यदि पेंटिंग करना पसंद है और डांस भी करते हैं तो हमें लगता है कि डांसिंग भी हमारा टैलेंट है...। लेकिन वह विकसित होता हुआ कौशल है और इसे हम समय के साथ तराशते हैं। दूसरी तरफ, टैलेंट या प्रतिभा हममें जन्मजात होती है और यह हमारे व्यक्तित्व का अटूट हिस्सा होती है। हालांकि इसे विकसित होने और तराशे जाने की जरूरत होती है। एक बार जब आप कौशल और प्रतिभा के बीच फर्क को समझ जाएंगे तो आप प्रतिभा के विकास के लिए प्रयास कर पाएंगे।
प्रशंसा पर गौर करें
हममें से ज्यादातर ऐसे हैं जो प्रशंसा पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। जबकि प्रशंसा में हमारे लिए छुपा हुआ संदेश हुआ करता है। अपनी प्रतिभा को पहचानने के सबसे बढ़िया तरीकों में से एक है मिलने वाली प्रतिक्रियाओं
व प्रशंसा पर गौर करना। प्रतिक्रिया जो आपको अपने वरिष्ठों से, दोस्तों, परिवार, टीचर यहां तक कि दूर-दराज में बसे हुए अजनबियों से मिलती है, वह आपके टैलेंट को पहचानने में मदद करती है। यदि आप यह सोचते हैं कि आप गिटार बजाने में अच्छे हैं, जबकि हकीकत में आप इसमें बहुत औसत हैं, तो आपका साथी या परिवार आपको यह बेहतर तरीके से बता सकता है कि आप क्या ज्यादा अच्छे से कर पाते हैं। इसलिए हमेशा प्रतिक्रिया व प्रशंसा को गंभीरता से लें।
चीजों को लादने से बचें
अपनी प्रतिभा को पहचानने और उससे सफलता पाने के चक्कर में हम खुद पर बहुत ज्यादा दबाव लाद
लेते हैं। कई लोगों को देखा है, जो बहुत सारी चीजें एक साथ करते हैं और करने के लिए बहुत सारे प्रयास करते हैं, लेकिन उनमें दूर-दूर तक कोई प्रतिभा नजर नहीं आ रही है। याद रखें कि प्रतिभा आपकी पहचान और व्यक्तित्व का नैसर्गिक हिस्सा है। इसलिए यह बहुत जोरजबरदस्ती से नहीं हो पाएगा। यह बहुत स्वाभाविक तौर पर ही होगा। इसलिए जरूरी है कि आप सिर्फ एक या फिर दो चीजों पर ही फोकस करें और उन्हीं पर अपना समय,
ऊर्जा व उत्साह को इन्वेस्ट करें, तभी आप उसे तराश पाएंगे।
अपने कंफर्ट जोन से निकलें
जहां एक तरफ अनावश्यक दबावों से बचना जरूरी है ताकि आप अपने टैलेंट को ठीक तरह से समझ पाएं, वहीं यह भी जरूरी है कि आप अपने कंफर्ट जोन को भी तोड़ें। सिर्फ इसलिए कि आपके पास प्रतिभा है, इसका यह मतलब नहीं है कि आप ऐसे ही अपना सर्वश्रेष्ठ दे पाएंगे। यह सही है कि प्रतिभा नैसर्गिक हुआ करती है, लेकिन इसे निखारना भी पड़ता है। इसके लिए मेहनत, लगन व समर्पण जरूरी हैं। इसके लिए जरूरी है कि आप अपने कंफर्ट जोन से बाहर आएं और अपनी प्रतिभा को निखारने व फिर इस दिशा में सफलता पाने के प्रयास करें।
सोचें नहीं, करें
जब तक कि आप वह गिटार हाथ में नहीं ले लेते हैं, जिससे आपको बहुत प्यार है, आप खुद को भी और दूसरों
को भी यह नहीं बता पाएंगे कि गिटार ही आपकी प्रतिभा का प्रमाण है। यदि आपको फुटबॉल देखना पसंद है, तो आप यह कभी भी महसूस नहीं कर पाएंगे कि आप हकीकत में फील्ड में कैसे हैं। इसके लिए आपको स्वयं फील्ड में जाना होगा। आपको न सिर्फ अपना टैलेंट पहचानना है, बल्कि उसे ग्रूम भी करना है। उम्र बढ़ने के साथ हम उन चीजों का पश्चाताप करते हैं जो हम नहीं कर पाए हैं। तो पश्चाताप का पिटारा भारी न करें...। कर डालें जो करना अच्छा लगता है।