Dyslexia Treatment । बच्चे में मानसिक विकार से संबधित बीमारी Dyslexia के सबसे अधिक मामले देखने में आते हैं। इस बीमारी से प्रभावित बच्चे को पढ़ने, लिखने और समझने में कठिनाई होती है। साथ ही कई बार ये भी देखने में आता है कि बच्चों की लिखावट काफी धुंधली हो जाती है और बोलने में भी दिक्कत होती है। हेल्थ विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक आनुवांशिकी रोग भी है जो पीढ़ी दर पीढ़ी ट्रांसफर होती रहती है। इसके अलावा डॉक्टरों का कहना है कि मस्तिष्क में किसी प्रकार की चोट के चलते भी Dyslexia की बीमारी हो सकती है। ऐसी स्थिति में बच्चे की खास देखभाल करना चाहिए। बच्चे में Dyslexia के लक्षण दिखने पर तत्काल डॉक्टर को दिखाना चाहिए और लापरवाही नहीं बरतना चाहिए। आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में विस्तार से -
Dyslexia के लक्षण
अक्षर पहचानने में दिक्कत, शब्दों के उच्चारण में दिक्कत, देर से बोलना, उम्र के हिसाब से बुद्धि का विकास न होना, भूलने की आदत, सुनने में परेशानी
तीन तरह की होती है Dyslexia की बीमारी
- Dyslexia की बीमारी तीन प्रकार की होती है। पहले प्रकार को प्राथमिक Dyslexia कहा जाता है। इस स्थिति में बच्चे को पढ़ने और समझने में दिक्कत आती है।
- दूसरे प्रकार को मिडिल Dyslexia कहा जाता है। गर्भ के समय में ही बच्चे के मस्तिष्क विकास के दौरान माध्यमिक Dyslexia की समस्या होती है। इससे पीड़ित बच्चे उम्र बढ़ने के साथ शिक्षा में औसतन प्रदर्शन करते हैं।
- डिस्लेक्सिया का तीसरा प्रकार काफी घातक होता है। मस्तिष्क में गंभीर चोट लगने से आघात Dyslexia की समस्या होती है। इस स्थिति में पीड़ित की याददाश्त शक्ति चली जाती है।
Dyslexia से ऐसे करें बचाव
इन दिनों इस बीमारी का उपचार संभव है। Dyslexia एक आनुवांशिक रोग भी है। इस स्थिति में इलाज में दिक्कत होती है। वहीं, अन्य स्थितियों में Dyslexia का उपचार संभव है। इसके लक्षण दिखने पर डॉक्टर से संपर्क करें। शुरुआती स्तर पर इलाज से मरीज का इलाज जल्दी किया जा सकता है और इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं।