किसी से परिचय होने पर अक्सर जिस सवाल का सामना करना पड़ता है, वह है, 'आप क्या करते हैं?' इस सवाल के जरिए परोक्ष रूप से आपसे यही पूछा जा रहा होता है कि 'आप कौन हैं?' मगर दिक्कत यह है कि जब हम इस
सवाल का जवाब एक या दो शब्दों में देते हैं, तो सामने वाला तुरंत मन ही मन हमें एक श्रेणी में डाल देता है। कारण यह कि हर व्यक्ति के मन में हर पेशे से जुड़ी एक खास धारणा रहती है। जब हम अपना पेशा बताते हैं, तो वह अपनी धारणा के अनुसार ही हमारे बारे में राय बना लेता है।
इस प्रकार हम स्टीरियोटाइपिंग के शिकार हो सकते हैं। यदि आपके पेशे से जुड़े किसी व्यक्ति के साथ उस व्यक्ति के अच्छे अनुभव नहीं रहे हैं, तो वह आपके बारे में भी शुरू से नकारात्मक राय बना लेगा। मसलन, यदि आपने कहा कि आप वकील हैं, तो वह सोच सकता है कि 'यह बहस बहुत करेगा।' या आपने बताया कि आप सेल्स में हैं, तो वह सोच सकता है कि 'यह मीठी-मीठी बातों में लपेट लेगा।' यदि आप चाहते हैं कि आपके बारे में तुरत-फुरत कोई गलत राय न बना ली जाए, तो यह जरूरी है कि 'आप क्या करते हैं?' का कोई बेहतर उत्तर दिया जाए।
कोई पूछे, 'आप क्या करते हैं? बताएं, आप लोगों की किस तरह मदद करते हैं बजाए यह कहने के कि आप चार्टर्ड
अकाउंटेंट है, यह कहें कि 'मैं लोगों को उनका आर्थिक लेखा-जोखा दुरुस्त रखने में मदद करता/ करती हूं।' इसी प्रकार आप जिस भी पेशे से जुड़े हैं, उसमें आप किस प्रकार दूसरों के काम आते हैं, यह बात हाईलाइट करें। इससे आपका जवाब कहीं अधिक रुचिकर बन जाता है और आपसे परिचय कर रहा व्यक्ति आपमें दिलचस्पी लेने लगता है।
कोई किस्सा सुनाएं
किस्सों से हर तरह की बात बन जाती है। जिससे नया-नया परिचय हो रहा है, उससे कोई किस्सा शेयर करने से आप उसके साथ एक खास बॉण्ड बना सकेंगे। शोध करके पाया गया है कि जब कोई किसी को किस्सा सुना रहा होता है, तो वक्ता और श्रोता दोनों की ब्रेन एक्टिविटी एक समान हो जाती है। इससे बेहतर बॉण्डिंग हो जाती है। किस्सा सुनाने का एक और फायदा यह होता है कि सामने वाला आपके किस्से में रम जाएगा और आपके किस्से के
अनुसार आपके बारे में छवि बनाएगा, बजाए अपनी पूर्व धारणा के अनुसार छवि बनाने के। हां, आपका किस्सा रोचक होना चाहिए, नहीं तो सामने वाला बोर भी हो सकता है।
कुछ नया बताएं
इतना भर न बताएं कि आप क्या काम करते हैं। अपने प्रोफेशन या इंडस्ट्री के बारे में कोई ऐसी बात भी बताने का प्रयास करें, जो उस व्यक्ति को शायद न पता हो। अपने कार्यक्षेत्र में हो रही किसी नई गतिविधि के बारे में बताएं। या फिर, आपने हाल ही में अपने प्रोफेशन से जुड़ी कोई नई चीज सीखी हो, तो उसके बारे में बताएं।
खुली किताब बनें
अपने जीवन से जुड़ी बातें शेयर करने में न झिझकें। बताएं कि आप आज जिस मुकाम पर हैं, वहां कैसे पहुंचे। यह भी कि आगे अपने करियर को क्या मोड़ देना चाहते हैं। अपने चारों ओर दीवार खड़ी न करें। खुली किताब बनें। आखिर बातचीत का मकसद ही संबंध बनाना होता है। अपने चारों ओर घेरा बनाकर रहेंगे, तो संबंध कैसे बनेंगे? इसका यह भी मतलब नहीं कि पहली ही मुलाकात में आप अपना निजी जीवन उघाड़कर रख दें। मगर कुछ
बातें जरूर शेयर करें।
प्रासंगिकता बनाए रखें
वार्तालाप के दौरान यह देखना न भूलें कि आप जो भी कहें, वह प्रासंगिक हो। सामने वाला आपके बारे में जानना चाह रहा है, तो उससे उतनी ही बातें करें, जो प्रासंगिक हों। यह देखें कि उस व्यक्ति को आपके किस पहलू के बारे
में जानने में दिलचस्पी होगी। उसी के बारे में बात कर बताएं, आप लोगों की किस तरह मदद करते हैं बजाए यह कहने के कि आप चार्टड अकाउंटेंट है, यह कहें कि 'मैं लोगों को उनका आर्थिक लेखा-जोखा दुरुस्त रखने में मदद करता/ करती हूं।'
इसी प्रकार आप जिस भी पेशे से जुड़े हैं, उसमें आप किस प्रकार दूसरों के काम आते हैं, यह बात हाईलाइट करें। इससे आपका जवाब कहीं अधिक रुचिकर बन जाता है और आपसे परिचय कर रहा व्यक्ति आपमें दिलचस्पी लेने लगता है।
अपनी ब्रांडिंग करें
ऐसे मौकों पर अपनी ब्रांडिंग करने से न चूकें। आज जमाना सेल्फ प्रमोशन का है। अपनी उपलब्धियों का ढिंढोरा पीटने का है। अपना विज्ञापन खुद करने का है। ऐसा करने में हिचकिचाएं नहीं। क्या पता, जिस व्यक्ति से आपका परिचय कराया जा रहा है, वह प्रोफेशनली आपका कोई फायदा कर सकता हो या उससे यह मुलाकात आपके करियर को नया मोड़ दे डाले! इसके लिए जरूरी है कि आप बेहिचक अपनी ब्रांडिंग करें। हां, बढ़ा-चढ़ाकर कोई गलत जानकारी न दें लेकिन अपनी खूबियों के बारे में बताने में शरमाएं भी नहीं।