पिछले 20 सालों में एक नई तरह की लत उबरकर आई है। यह लत शराब या तंबाकू की तरह शारीरिक नुकसान तो नहीं पहुंचाती, लेकिन हमारी भावनाओं, व्यवहार और संबंधों पर लंबे समय तक बने रहने वाला नकारात्मक असर डाल सकती है। यह लत है- सोशल मीडिया की लत। अगर आप सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताते हैं, तो थोड़ा सतर्क होने की जरूरत है। एक हालिया अध्ययन में दावा किया गया है कि इंटरनेट मीडिया का अधिक इस्तेमाल करने वाले युवाओं में अवसाद के विकास का खतरा बढ़ जाता है। अफेक्टिव डिसआर्डर रिपोट््र्स नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन निष्कर्ष में कहा गया है कि सोशल मीडिया पर कम सक्रिय रहने वालों के मुकाबले अधिक सक्रिय रहने वालों में अवसाद के विकास का खतरा 49 प्रतिशत ज्यादा होता है।
सोशल मीडिया का यह होता है असर
- सोशल मीडिया का बुरा असर लीवर या किडनी फेल नहीं करता, लेकिन मरीज का व्यवहार पूरी तरह बदल देता है। दरअसल, सोशल मीडिया की लत लगने के बाद व्यक्ति को इससे बाहर कुछ भी अच्छा नहीं लगता है। वह यहीं ज्यादा से ज्यादा वक्त गुजारने की कोशिश करता है। दूसरे लोगों और कामों को वह पूरी तरह भूल जाता है।
- सोशल मीडिया का दूसरा बड़ा असर मरीज की नींद पर पड़ता है। ज्यादा से ज्यादा वक्त स्क्रीन पर गुजारने के चलते उसका दिमाग सो नहीं पता है।
- डिप्रेशन और एकाकीपन भी सोशल मीडिया की बीमारियां हैं। ऐसे लोग आसानी से ऑनलाइन शोषण का शिकार हो सकते हैं। इन्हें यह लगने लगता है कि यदि उनके साथ कुछ गलत हुआ है तो ऑनलाइन कम्युनिटी मदद करेगी। जबकि ऐसा होता नहीं है, क्योंकि वहां अधिकांश अंजान लोग होते हैं।
अध्ययन में यह पता लगाया गया
हालिया अध्ययन में व्यक्तित्व के सभी पहलुओं पर गौर किया गया और यह पता लगाने का प्रयास किया गया कि क्या इंटरनेट मीडिया का अधिक इस्तेमाल भी अवसाद के विकास का कारण हो सकता है।" शोधकर्ताओं के अनुसार, अध्ययन में पाया गया कि रोजाना 300 मिनट या उससे अधिक इंटरनेट मीडिया के इस्तेमाल से अवसाद के विकास की आशंका बढ़ जाती है।