अच्छी ब्रीदिंग के लिए ट्राई करें ये योग, बीपी से लेकर एंजाइटी तक होगी काबू
जब हम अपनी सांसों पर फोकस करते हैं, तो इससे शरीर के रिलेक्सेशन रिस्पॉन्स को सक्रिय होता है। ब्रीदिंग पैटर्न में इस तरह के सकारात्मक बदलाव के कारण हार्ट रेट कम होने में मदद मिलती है।
Publish Date: Sun, 12 Jan 2025 06:00:00 AM (IST)
Updated Date: Sun, 12 Jan 2025 06:00:00 AM (IST)
अपनी सारी टेंशन और स्ट्रेस को अंदर से बाहर निकलता हुआ महसूस करें।HighLights
- दिमाग शांत होता है और एंजाइटी पैदा करने वाले विचार कम होते हैं।
- ब्रीदिंग योग करने से ब्लड प्रेशर कम होता है, हार्टबीट रेट सही रहता है।
- ये 5 ब्रीदिंग योग करने के बाद शरीर और मन को मिलती है बहुत शांति।
डिजिटल डेस्क, इंदौर। ब्रीदिंग सेहत के लिए योग बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। एंजाइटी से राहत पाने के लिए फुल योगिक ब्रीदिंग का बहुत महत्व है। ये सीधे तौर पर नर्वस सिस्टम को सपोर्ट करता है। जब हम अपनी सांसों पर फोकस करते हैं और इन्हें धीमा कर के लंबी गहरी सांसें लेते हैं, तो इसे ब्रीदिंग योग कहते हैं।
ऐसा करने से ये शरीर के रिलेक्सेशन रिस्पॉन्स को सक्रिय करते हैं। साथ ही फाइट और फ्लाइट एक्शन को शांत करते हैं। ब्रीदिंग पैटर्न में इस तरह के सकारात्मक बदलाव के कारण हार्ट रेट कम होने में मदद मिलती है।
इससे ब्लड प्रेशर कम होता है। दिमाग शांत होता है और एंजाइटी पैदा करने वाले विचार और इनसे होने वाले शारीरिक बदलाव खत्म होते हैं। इसलिए ब्रीदिंग के इतने सारे फायदों का आनंद उठाने के लिए ट्राई करें ये ब्रीदिंग योग...
बॉक्स ब्रीदिंग- सांस अंदर खींचे, फिर बाहर छोड़ें, रुकें। इस प्रक्रिया को दोहराएं। इस साधारण से तकनीक से आप वर्तमान पर फोकस करेंगे और अपनी सांसों पर नियंत्रण करना सीखेंगे।
4-7-8 ब्रीदिंग- ब्रीदिंग योग की ये एक सिंपल, लेकिन पावरफुल तकनीक है। 4 तक गिनती गिनने तक सांस अंदर खींचें, 7 गिनने तक सांस को रोके रखें। 8 गिनने तक सांस को छोड़ें। इससे सांसों पर फोकस होता है और मन शांत होता है।
लायंस ब्रीदिंग- लंबी गहरी सांस खींचें, ताकत लगाकर जोर से सांस को छोड़ें जिससे मुंह पूरी तरह खुल जाए। जबान बाहर निकालें और आंखें चौड़ी करें। अपनी सारी टेंशन और स्ट्रेस को अंदर से बाहर निकलता हुआ महसूस करें। शांति पाने के इस तरीके से शेर की तरह दहाड़ें और अपनी स्ट्रेस को दूर करें।
अल्टरनेट नॉस्ट्रिल ब्रीदिंग- नाक की बाईं नॉस्ट्रिल से सांस खींचें, दाईं तरफ से सांस को छोड़ें। इसी प्रक्रिया को दूसरी तरफ की नॉस्ट्रिल से करें। इस प्रक्रिया को दोहराते जाएं। सांस लेने की इस रिदम भरी तकनीक से अपनी एनर्जी को बैलेंस करें और अंदर से शांति महसूस करें।
डायाफ्रामाटिक ब्रीदिंग- सांस लेते समय सीने पर ध्यान देने की जगह अपने पेट पर ध्यान दें। लंबी गहरी सांसें खींचें, जिससे लंग्स के फंक्शन में सुधार होता है। ऑक्सीजनेशन की प्रक्रिया शुरू होती है और इससे तमाम सांस संबंधी बीमारियों से भी राहत मिलती है।