Samosa History । समोसा भारत में एक लोकप्रिय स्नैक है, लेकिन इसकी उत्पत्ति को लेकर अभी भी कोई स्पष्ट जानकारी सामने नहीं है। लेकिन अधिकांश इतिहासकारों का मानना है कि समोसा ईरान या मध्य पूर्वी व्यापारियों द्वारा भारत लाया गया था। ऐसी ही एक डिश ईरान में पाई जाती थी। फारसी में इसका नाम 'संबुश्क' (sambusak) था, जो भारत आते-आते समोसा हो गया। बिहार और पश्चिम बंगाल में समोसा को सिंघाड़ा कहा जाता है। समोसे का जिक्र पहली बार 11वीं सदी के इतिहासकार अबुल-फल बेहाकी के लेख में मिलता है, जिसमें उन्होंने गजनवी के दरबार में नमकीन चीज का जिक्र किया था, जिसमें कीमा और मावे भरे होते थे। हालांकि कुछ इतिहासकार का कहना है कि समोसा का आविष्कार भारत के उत्तरी क्षेत्र में हुआ था।

बदल गया समोसे का रूप और स्वाद
समोसे के जिस स्वाद के मजे हम आज लेते हैं, वह सैकड़ों साल पहले ऐसा नहीं था। ऐसा माना जाता है कि समोसे की उत्पत्ति मध्य एशिया में हुई थी, जहां इसे ‘संसा’ के नाम से जाना जाता था। मध्यकालीन युग के दौरान जब सिल्क रूट से जरिए भारतीय उपमहाद्वीप में व्यापारी आए सबसे पहले समोसे से परिचय हुआ। ऐसा माना जाता है कि पहले समोसा तिकोना नहीं होता था और न ही इसमें आलू का उपयोग होता है। तब समोसे में मीट और मेवे का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता था।

भारत आया तो तिकोना हो गया समोसा
भारत में समोसे के एक नए रूप में अपनाया गया। यहां समोसे को तिकोने बनाकर उसमें पहले बार आलू की स्टफिंग की गई। सोलहवीं सदी में पुर्तगाली भारत में आलू लाए थे और उसके बाद से ही समोसे में आलू डाला जाने लगा। आलू वाले समोसे काफी ज्यादा पसंद आने लगे। आज समोसा भारतीय व्यंजनों का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है, जिसका पूरे देश में नाश्ते के रूप में आनंद लिया जाता है।
भारत में रोज खाए जाते हैं 7 करोड़ समोसे
एक अनुमान के मुताबिक भारत में हर रोज 7 करोड़ समोसे खाए जाते हैं और रोज ही अरबों रुपए का कारोबार सिर्फ समोसे के कारण होता है। अब समोसे के बिजनेस से जुड़े कई स्टार्टअप भी शुरू हो गए हैं। साथ ही भारत में बने फ्रोजन समोसे विदेशों में भी निर्यात किए जाते हैं।
Posted By: Sandeep Chourey
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