Taste Of Indore: कुरकुरी टिकिया का स्वाद बढ़ाता शाही छोले का नपातुला मिजाज
Taste Of Indore: स्वाद के दीवानों की इस नगरी में जायके के खजाने का अपना ही महत्व है।
By Sameer Deshpande
Edited By: Sameer Deshpande
Publish Date: Sat, 18 Feb 2023 01:07:25 PM (IST)
Updated Date: Sat, 18 Feb 2023 01:07:25 PM (IST)

Taste Of Indore: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। यूं तो आगरा के छोले टिकिया खासे प्रसिद्ध हैं। देसी घी में सिकी हुई कुरकुरी आलू टिकिया अगर इसकी जान है तो उसमें डाली जाने वाली छोले की सब्जी भी अपना अलग ही रुतबा रखती है। पर इंदौर आकर अगर किसी ने यहां के छोले टिकिया खा लिए तो उसे आगरा के छोले टिकिया का लजीज विकल्प इंदौरी अंदाज में मिल जाता है।
स्वाद के दीवानों की इस नगरी में जायके के खजाने का अपना ही महत्व है। जो केवल खुद को ही लोकप्रिय नहीं बनाता बल्कि औरों को रोजगार भी देता है। साथ ही उसकी अलग पहचान भी बनाता है। ऐसा ही एक नाम है सांवरिया चाट हाउस का जो बीते 28 वर्षों में शहर की पहचान बन चुका है। सराफा की गलियों में रात को जमने वाली पकवानों के मुरीदों की महफिल में इस छोले टिकिया का जिक्र शामिल रहता ही है। आखिर हो भी क्यों ना, इस छोले टिकिया का शाही अंदाज और अलहदा स्वाद जो है।
यूं तो शहर में छोले टिकिया के ठियों की कोई कमी नहीं पर कुछ की बात ही अलग होती है और इन कुछ में से एक है सराफा की छोले टिकिया। पहले टिकिया का जिक्र क्योंकि इसके बिना छोले की बात बेमानी है। आलू की टिकिया को तवे पर फैले भरपूर देसी घी में पलटे से दबाकर खूब सेंका जाता है। सिकाई ऐसी कि टिकिया की ऊपरी परत कुरकुरी हो जाए और आलू भी अंदर तक सिक जाए। इसके बाद इसे तवे पर ही काटकर दोने में निकाल लिया जाता है ताकि खाने वालों को परेशानी न हो। अब बात छोले की तरीदार सब्जी की। जिसमें छोले का साथ देता है तला हुआ पनीर और गरम मसाला। इसके बाद इस पर हरी और लाल चटनी, सेंव डालकर परोसा जाता है।
सांवरिया चाट हाउस के संचालक अनिल कुमार पांड्या ने 28 वर्ष पहले इस कारोबार की शुरुआत की थी। खाना बनाने, खाने और खिलाने के शौक ने उन्हें इस व्यापार की ओर मोड़ा। अनिल कुमार बताते हैं कि छोले टिकिया सराफा में और भी दुकानों पर मिलते थे लेकिन मुझे कुछ अलग स्वाद लोगों तक पहुंचाना था। पहले मसाले में बदलाव किया गया। बाजार में मिलने वाले गरम मसाले के बजाए 12 तरह के खड़े मसालों से गरम मसाला तैयार किया। बाद में छोले में काजू और किशमिश भी मिलाया।
जिसका स्वाद लोगों को ज्यादा पसंद नहीं आया तो उसे हटाकर पनीर तलकर डालना शुरू किया। यह स्वाद इंदौरियों को भाया। परिणाम यह रहा कि 250 ग्राम पनीर से शुरू हुए छोले की सब्जी के सफर में आज 28 से 30 किलो तक पनीर का उपयोग होने लगा है। हरी चटनी में धनिया, पुदीना और नींबू को शामिल किया तो अमचूर और गुड़ से मीठी चटनी बनकर चटपटी सब्जी के तीखे तेवर को थोड़ा खट्टा-मीठा किया गया।