पर, पर हैं क्या?
पंख, पर या फैदर्स असल में पंछियों की ऊपरी त्वचा यानी स्किन पर उगने और उसे कवर करने वाली संरचना होते हैं। साइंस की भाषा में कहा जाए तो यह एपिडर्मिस के ऊपर होने वाली ग्रोथ है। साइंस यह भी कहता है कि रेप्टाइल्स के शरीर पर पाए जाने वाले स्केल्स ही असल में पक्षियों के शरीर पर पंखों के रूप में विकसित हुए हैं।
पंछियों के अलावा ये कुछ अन्य प्राणियों के शरीर पर भी पाए जाते हैं। वहां इनका रूप भी अलग हो सकता है। पंख भी नाखून और बालों की ही तरह कैराटिन नाम के प्रोटीन से बनते हैं।
उड़ो और बचो भी
पंख केवल उड़ान भरने में ही पंछियों की मदद नहीं करते। प्रकृति ने इन्हें इस तरह से बनाया है कि ये पक्षियों के लिए रेनकोट भी बनते हैं, दुश्मन से बचाव का साधन भी और हर पंछी की अपनी पहचान का माध्यम भी। साथ ही ये तापमान को नियंत्रित रखने में भी मदद करते हैं।
पंखों की रचना और रंगों को देखकर मेल-फीमेल पक्षी का पता भी लगाया जा सकता है। पक्षियों के परों को अलग-अलग आकार-प्रकार के आधार पर कई श्रेणियों में बांटा जाता है।
रंगों का मजेदार विज्ञान
पंछियों के पर क्रिएटिविटी के मामले में भी प्रकृति की खूबसूरत कारीगरी होते हैं। रंग-बिरंगे इंद्रधनुष से ये पंख वाकई इंद्रधनुष सी ही काबिलियत रखते हैं। तुम्हें ये जानकर और भी आश्चर्य होगा कि फैदर्स में इंद्रधनुष के सारे रंग होते हैं। इनमें से ज्यादातर रंग एक खास पिगमेंट के कारण बनते हैं।
यह क्रिया ठीक ऐसे ही होती है जैसे खाना बनाते समय फूड कलर्स को यूज करने पर होती है। जैसे कि जब तुम किसी पकवान में लाल या पीला रंग मिलाते हो तो वो लाल या पीले रंग का हो जाता है। ठीक उसी तरह पंखों में भी जिस रंग का पिगमेंट मौजूद होता है वो उसी रंग के नजर आते हैं।
यहां एक रोचक बात यह है कि इंद्रधनुष के बाकी प्रायमरी कलर्स के पिगमेंट तो फैदर्स में होते हैं लेकिन नीले रंग का कोई पिगमेंट नहीं होता।
तो फिर 'नीलकंठ' जैसे पंछी के पंखों का रंग कहां से आता है? इसके पीछे भी विज्ञान काम करता है। नीले रंग के मामले में प्रकृति द्वारा बनाई पंख की संरचना मुख्य काम करती है। नीले रंग के पंखों का आकार और संरचना इस तरह की होती है कि जब प्रकाश इस पर पड़ता है तब यह पंख केवल नीले रंग को ही हमारी आंखों पर रिफ्लेक्ट या परावर्तित करता है।
यहां यह भी याद रखना कि साधारण प्रकाश में इंद्रधनुष के सारे रंग छुपे होते हैं लेकिन नीले पंखों की डिजाइन ऐसी होती है कि वो हमारी आंखों तक केवल नीला रंग ही पहुंचाता है। इसे तुम एक सिंपल से एक्सपेरिमेंट से भी समझ सकते हो।
एक्सपेरिमेंट
एक नीले रंग का पंख लेकर उस पर ऊपर की तरफ से फ्लैशलाइट डालो। इससे तुम्हें चमकता हुआ नीला रंग दिखाई देगा। अब इसी लाइट को फैदर के अंदर की तरफ से डालो। नीला रंग गायब हो जाएगा। मगर यही एक्सपेरिमेंट जब तुम लाल या पीले या अन्य किसी रंग के पंख के साथ करोगे तो तुम्हें किसी भी डायरेक्शन से सेम कलर ही दिखाई देगा। है ना ये नेचर का मैजिक।
हरे रंग का जादू
अब इसी तरह पंखों के हरे जादू को भी समझो। यहां भी रोचक बात यह है कि नेचर ने केवल एक ही पक्षी 'टरकॉइज' के पंखों में हरे रंग का पिगमेंट दिया है। तो फिर बाकी के हरे रंगों वाले पंख पंछियों के पास कैसे होते हैं?
तो बाकी सारे हरे रंग के पक्षी असल में हरे रंग को दिखाने के लिए अपने पास मौजूद पीले रंग के पिगमेंट और ब्लू वेवलेंथ्स का कॉम्बीनेशन यूज में लाते हैं। अब नीले और पीले रंग को मिलाने पर हरा रंग बनता है ये सब जानते ही हैं।
बचाओ पंख और पक्षी भी
ये जाहिर सी बात है कि पंख किसी पक्षी के लिए कितना महत्वपूर्ण हो सकता है। लेकिन कुछ लोग इस बात को नहीं समझते और खूबसूरत पंखों के लिए पंछियों को मार देते हैं। दुनियाभर में इसके लिए कई सारे कानून भी बनाए गए हैं ताकि निर्दोष पक्षियों को नुकसान पहुंचने से बचाया जा सके। हां, अगर जमीन पर गिरे पंख इकट्ठे करके कोई अपने पास रखे तो कोई बात नहीं।
रोचक बातें पंखों की
पंख पंछियों के नाजुक शरीर की रक्षा का काम करते हैं। कुछ पंछी तो ऐसे भी हैं जिनके नन्हे
पंख उनके लिए आइलैशेज का भी काम करते हैं। उल्लू जैसे कुछ पक्षियों के पंख उनके लिए प्रोटेक्टिव शॉल का भी काम करते हैं और दुश्मनों की नजर से उन्हें पूरी तरह छुपा देते हैं।
बर्फ में रहने वाले पंछियों के पैरों में भी पंख होते हैं और वे उनके लिए स्नो शूज का काम करते हैं। ये ठंड के साथ-साथ उन्हें बर्फ में ग्रिप बनाए रखने में भी मदद करते हैं। कुछ पक्षी अपने पंखों से आवाज भी करते हैं। ये आवाज पंखों से गुजरने वली हवा के कारण पैदा होती है।