क्लास चल रही थी। इस बीच टीचर ने चॉक उठाकर आखिरी बेंच पर बैठे कमल पर दे मारी। वह हड़बड़ा कर उठ गया। इससे पहले कि वह संभल पाता टीचर ने क्लास में पढ़ाए जा रहे चैप्टर से संबंधित सवाल पूछा। कमल चुप रहा और फिर कुछ टूटा-फूटा सा अधूरा जवाब देना शुरू कर दिया। टीचर ने उसे यह कहकर बीच में ही रोक दिया कि आखिर बैक बेंच पर बैठने वाला स्टूडेंट आंसर क्या दे पाएगा। उसे अधूरे में ही चुप कराकर बैठा दिया।
फर्स्ट बेंच पर बैठे बाकी बच्चे मुंह पर हाथ रखे अपनी हंसी रोकने की कोशिश कर रहे थे। कमल को टीचर की बात चुभ गई थी, भले ही वह क्लास में टॉप नहीं करता था लेकिन आखिरी आने वाले बच्चों में भी नहीं था। क्या सिर्फ बैक बेंचर होना ही उसकी इतनी बड़ी गलती थी।
बैक बेंचर्स की यह घटना, शायद हर स्कूल की कहानी है। जहां पीछे बैठने वाले बच्चों को अपने सहपाठियों के मजाक का शिकार होना पड़ता है वहीं टीचर्स भी आए दिन उन्हें डांट सुनाते रहते हैं। ऐसे कितने ही किस्से बैक बेंचर्स की दुनिया से जुड़े हैं जहां लोग स्कूल और कॉलेज में तो बैक बेंचर रहे लेकिन अपने करियर में फर्स्ट पर।
बैक बेंच से गोल्डन गर्ल तक
आज दीपिका पादुकोण का जो स्टारडम है वैसी इमेज स्कूल डेज में नहीं थी। उनकी एक स्कूल फ्रेंड का कहना है कि दीपिका क्लास की सबसे लंबी लड़की थी और ज्यादातर बैक बेंच पर ही बैठा करती थी। दीपिका शर्मीली थी लेकिन क्लास में दोस्तों के साथ ही-ही हू-हू करने में अपनी अटेंडेंस मिस कर जाया थीं और लेक्चर के बीच में ही उन्हें इसके लिए कई बार सॉरी भी बोलना पड़ता था।
उनकी फ्रेंड का कहना है कि स्कूल के दिनों में वो एक मॉडल कम स्पोर्ट्सपर्सन ज्यादा नजर आती थीं, न तो आम लड़कियों की तरह मेकअप करती थीं और न ही वैसे कपड़े पहनना ही उन्हें पसंद था। लेकिन वह काफी मेहनती थीं, जिसकी वजह से आज बॉलीवुड में 'गोल्डन गर्ल' के नाम से जानी जाती हैं।
क्लास में नीचे से तीसरे नंबर पर
आईआईटी दिल्ली से पढ़ाई पूरी करने वाले क्षितिज मारवाह अपनी क्लास के एवरेज स्टूडेंट थे। यदि क्लास में रैंक की बात की जाए तो हमेशा नीचे से तीसरे नंबर पर आते थे। इसका मतलब यह नहीं था कि वो एक अच्छे स्टूडेंट नहीं थे लेकिन उनका दिमाग किताबी पढ़ाई में जरा कम ही लगता था।
पढ़ाई खत्म होने के बाद क्षितिज को स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी में सात-आठ महीने की फेलोशिप का ऑफर मिला। क्षितिज अपने देश के लिए कुछ करना चाहते थे, अब वो एमआईटी मीडिया लैब इनिशिएटिव कंपनी के हेड के तौर पर काम कर रहे हैं जहां उनकी टीम में 300 स्टूडेंट है जो फोटोग्राफी, टेक्नोलॉजी और आर्ट को मिलाकर फोटोग्राफी को नई दिशा दे रहे हैं।