मुंबई। सपनों के शहर के नाम से मशहूर मुंबई में अब महिलाओं और युवतियों के साथ छेड़छाड़, दुष्कर्म या प्रताड़ना की घटनाओं पर लगाम लगाने की कवायद शुरू हो गई है। मुंबई पुलिस में खासतौर पर महिला सुरक्षा के लिए 200 महिला पुलिसकर्मियों को तैयार किया है, जिन्हें 'बीट मार्शल" नाम दिया गया है।
पिछले तीन महीनों में इन्हें कराते का प्रशिक्षण देने के साथ पिस्तौल चलाने, मोटरसाइकल चलाने और कानून के दायरे में रहकर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रशिक्षण दिया गया है। तकरीबन 205 महिला बीट मार्शलों ने मुंबई में एक कार्यक्रम के तहत रैली निकाली। गृह मंत्री आरआर पाटिल और पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया ने रैली को हरी झंडी दिखाई।
एक बीट मार्शल पूनम मोहिते ने बताया कि उन्हें कराते, बाइक चलाने, छोटे हथियार चलाने, बातचीत कौशल और कानून का तीन महीने तक प्रशिक्षण दिया गया है। इस दौरान पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया ने कहा कि ये महिलाएं सड़कों पर तैनात रहेंगी और महिलाओं, बच्चों तथा वरिष्ठ नागरिकों को आने वाली समस्याएं दूर करेंगी। इन्हें कराटे का प्रशिक्षण दिया गया है। ये पिस्तौल से लैस रहेंगी। इन्हें वॉकी-टॉकी का उपयोग करना भी भली-भांति आता है और ये बाइक भी चला लेती हैं।
गृहमंत्री आरआर पाटिल ने कहा कि हम नए महिला बीट मार्शल तैनात कर रहे हैं और हमें उम्मीद है कि ये समाज की अच्छी तरह मदद कर सकेंगी। हम इनका समर्थन करेंगे और हमारी योजना है कि अगले चार साल में महाराष्ट्र पुलिस फोर्स में ऐसी ही 20,000 पुलिसकर्मी नियुक्त की जाएं।
इससे पहले मुंबई पुलिस के पास केवल पुरुष मार्शल ही थे, जिन्हें बुलाने के लिए 100 नंबर डायल करना होता है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि हालांकि यह अच्छी शुरुआत है, लेकिन समस्या यह है कि इन महिला पुलिसकर्मियों को उचित हथियार प्रदान नहीं किए गए हैं। उनको दी गई बाइक भी भारी है। सही होता अगर इन्हें स्कूटर दिए जाते, जो महिलाओं के लिए उपयोगी भी मानी जाती है।
एक महिला बीट मार्शल अश्विनी शेंडे ने बताया कि हम खुश हैं कि बीट मार्शल की टुकड़ी का हम हिस्सा बने। पिछले तीन महीनों में हमें बेहतरीन प्रशिक्षण दिया गया है। हमें उम्मीद है कि हम अच्छा काम करेंगी। इससे पहले अश्विनी स्थानीय आर्म्स यूनिट की सदस्य थीं, पर अब इन्हें एक पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित कर दिया गया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि महिला बीट मार्शल बनाने का विचार अच्छा है, पर जब नए कमिश्नर आए हों, तो इस तरह की योजनाओं पर अमल नहीं करना चाहिए। हर नया कमिश्नर आता है और अपने साथ नया आइडिया लाता है, जिसे उसके बाद आने वाला कमिश्नर खारिज कर देता है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि एक कॉन्स्टेबल को छह महीने का प्रशिक्षण दिया जाता है, जबकि बीट मार्शल को तीन महीने का प्रशिक्षण दिया गया है।
(मिड डे)