मुंबई। सलमान खान को हिट एंड रन केस में गैर इरादतन हत्या, बिना लाइसेंस व नशे में गाड़ी चलाने का दोषी मानते हुए 5 साल जेल की सजा सुनाई गई। उनको हुई इस सजा के पीछे कई किरदारों ने अहम रोल निभाया। इनमें से एक ऐसा ही शख्स था रविंद्र पाटिल, जो मामले में चश्मदीद गवाह था और कोर्ट ने उसकी गवाही को अपने फैसले का आधार बनाया।
सबसे अहम बात यह थी कि मुंबई पुलिस के इस सिपाही की 4 अक्टूबर 2007 को मौत हो चुकी है। रविंद्र पाटिल के करीबी सलमान को सजा मिलने से खुश हैं। उनके अनुसार, रविंद्र की मौत से पहले इस मामले में अपना बयान बदल लेने के लिए काफी दबाव था। इसका जिक्र कई ब्लॉगर्स ने अपने ब्लॉग में भी किया था, लेकिन बाद में इन्हें हटा लिया गया था। सूत्रों के अनुसार, सलमान के दबाव के बाद ही इन ब्लॉगर्स ने ऐसे पोस्ट हटाए थे क्योंकि अपने पोस्ट के लिए लिखित माफी मांगी थी।
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पाटिल ही एकमात्र ऐसे गवाह थे जिन्होंने कहा था कि कार एक्सीडेंट के समय सलमान नशे की हालत में तेज रफ्तार से कार चला रहा थे। यह कोई तकनीकी समस्या नहीं थी और पाटिल ने अपना यह बयान मरते दम तक नहीं बदला।
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इन ब्लॉग्स के अनुसार, मुंबई पुलिस में सिपाही के पद पर कार्यरत रहे पाटिल को 2006 में सबसे पहले क्रॉस एक्जामिनेशन में घेरा गया। इससे परेशान होकर वह घर से भाग गया था और इसकी रिपोर्ट उसके भाई ने पुलिस में दर्ज करवाई थी। परेशान व डर के के कारण रविंद्र पेशी पर नहीं जाता था और उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया गया। बाद में उसे गिरफ्तार कर आर्थर रोड जेल भेज दिया गया, जहां वह सालभर तक रहा।
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जेल से छूटने के बाद उसे नौकरी वापस नहीं मिली और तकरीबन एक साल के बाद 2007 में मुंबई के एक सरकारी अस्पताल के बेड पर पाए गए। रविंद्र को मुंबई की रेड लाइट्स पर भीख मांगते समय बेहोश होने के बाद अस्पताल लाया गया था। उसे टीबी हो गया था और दवाइयों के अभाव में उसने दम तोड़ दिया। उसके भाई ने उसका अंतिम संस्कार किया।
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अंतिम समय में रविंद्र से मुलाकात करने वाले उसके दोस्त के अनुसार, मरते दम तक पाटिल की दो इच्छाएं थीं। पहली दोबारा पुलिस में भर्ती होना और दूसरी सलमान को सजा दिलवाने की कोशिश करना, लेकिन पाटिल अपने जीते जी ऐसा नहीं करवा पाए। हालांकि, उनकी मौत के बाद उनकी एक आखिरी इच्छा तो जरूर पूरी हो गई।
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