7th Pay Commission कोलकाता। पश्चिम बंगाल के चुनावी संग्राम में भाजपा टीएमसी को पूरी तरह से घेरने की तैयारी कर रही है। अब कर्मचारियों के मुद्दे पर भी ममता बनर्जी बैकफुट पर आ गई है। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान अब सातवें वेतन आयोग का मुद्दा भी हावी होने लगा है। अब चुनाव प्रचार के दौरान भारतीय जनता पार्टी ने ऐलान किया है कि अगर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनती है तो जल्द ही राज्य के सभी कर्मचारियों को 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक सैलरी दी जाएगी। आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल में 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें अभी तक लागू नहीं की गई है।
पश्चिम बंगाल में कर्मचारियों को मिलता है कम वेतन
गौरतलब है कि देश के अन्य राज्यों की तुलना में पश्चिम बंगाल के कर्मचारियों को काफी कम वेतन प्राप्त होता है। यहां ममता बनर्जी की सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू नहीं किया है। इस कारण कर्मचारियों में काफी नाराजगी भी है। पश्चिम बंगाल की सरकार के कर्मचारियों को बीते साल यानी 2020 में ही छठे वेतन आयोग का लाभ दिया गया। कोलकाता में कई कर्मचारी संगठन इस मांग को लेकर कई बार विरोध प्रदर्शन भी कर चुके हैं।
छठा वेतन आयोग 2006 में केंद्र में लागू
एक कर्मचारी नेता का कहना है कि केंद्र ने 1 जनवरी 2006 से ही छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू कर दी थी, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार के कर्मचारियों को 14 साल के इंतजार के बाद 2020 में छठे वेतन आयोग का फायदा मिला। केंद्र के कर्मचारियों के लिए 1 जनवरी 2016 से सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू हो चुकी है।
खोखला निकला ममता का चुनावी वादा
साल 2011 में तृणमूल कांग्रेस नेता और मौजूदा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वादा किया था कि वह सत्ता में आते ही कर्मचारियों को केंद्रीय वेतनमान के हिसाब से वेतन देंगी, लेकिन उन्होंने इसे लागू नहीं किया। कोर्ट के आदेश के बाद उनकी सरकार ने 2020 में पश्चिम बंगाल में छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने की बात कही। ऐसे में अब विधानसभा चुनाव में सातवां वेतन आयोग लागू करने का मुद्दा छाया हुआ है। भाजपा लगातार कह रही है कि यदि प्रदेश में सरकार बनती है तो वह सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाएगी।