
डिजिटल डेस्क। आठवें वेतन आयोग की तैयारियां तेज होने के साथ ही केंद्रीय कर्मचारियों ने अपनी सबसे अहम और पुरानी मांग एक बार फिर केंद्र सरकार के सामने रख दी है। करीब 26 लाख कर्मचारी, जो नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के तहत आते हैं, ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) बहाल करने की अपील की है।
यह मांग नेशनल काउंसिल (स्टाफ साइड) जेसीएम की ओर से भेजे गए विस्तृत पत्र में उठाई गई है। परिषद के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि 8th पे कमीशन के टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) में कई महत्वपूर्ण बातें शामिल नहीं की गई हैं, जो कर्मचारियों और पेंशनरों दोनों के हितों से सीधे जुड़ी हैं।
जेसीएम ने स्पष्ट लिखा है कि जनवरी 2004 के बाद भर्ती हुए कर्मचारियों, जिन्हें NPS में शामिल किया गया है, के लिए OPS को फिर से लागू किया जाना चाहिए। संगठन का कहना है कि यह सिर्फ वित्तीय सुरक्षा नहीं, बल्कि रिटायरमेंट के बाद सम्मानजनक जीवन से जुड़ा अधिकार है।
काउंसिल ने ToR में शामिल प्रमुख क्लॉज ‘स्टेकहोल्डर्स की अपेक्षाएं’ को हटाए जाने पर नाराजगी जताई। संगठन का कहना है कि 7th वेतन आयोग में मौजूद यह प्रावधान कर्मचारियों को भरोसा देता था, जबकि 8th CPC से इसके हटने से निराशा बढ़ी है।
इसके अलावा, पेंशन रिवीजन का जिक्र न होने पर भी कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा गया कि सरकार खुद कह चुकी है कि 8th CPC कर्मचारियों और पेंशनरों दोनों को कवर करेगा। इसलिए 7th CPC की तरह प्री-2026 पेंशनरों को रिवीजन का लाभ मिलना चाहिए।
कर्मचारी संगठनों ने कई महत्वपूर्ण बिंदु सरकार के सामने रखे हैं-
पेंशन कम्यूटेशन बहाली अवधि 15 साल से घटाकर 11 साल की जाए
हर 5 साल में 5% अतिरिक्त पेंशन दी जाए
सभी पेंशनरों को रिवीजन का दायरा मिले
ToR में मौजूद ‘unfunded cost’ जैसे शब्द हटाए जाएं, क्योंकि यह OPS को आर्थिक बोझ की तरह दर्शाता है
संगठन ने ToR में लागू होने की तारीख साफ न होने पर भी सवाल उठाया है। साथ ही आग्रह किया है कि 8th CPC की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू होने का स्पष्ट उल्लेख किया जाए ताकि कर्मचारियों में भ्रम न रहे।
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तेजी से बढ़ती महंगाई को देखते हुए कर्मचारियों ने सरकार से 20% अंतरिम राहत (IR) देने की भी अपील की है। जेसीएम का कहना है कि यह कदम सरकार की संवेदनशीलता और कर्मचारियों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाएगा।
आठवें वेतन आयोग की प्रक्रिया शुरू होते ही कर्मचारियों की यह पहली बड़ी पहल है, जिसने सीधे प्रधानमंत्री तक अपनी आवाज पहुंचाई है। अब सरकार की प्रतिक्रिया पर सभी की निगाहें टिक गई हैं।