कुलदीप सेंगर मामले की सुनवाई में 'आडवाणी बनाम सीबीआई' का उल्लेख, पढ़ें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को राहत देने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने ...और पढ़ें
Publish Date: Mon, 29 Dec 2025 05:42:23 PM (IST)Updated Date: Mon, 29 Dec 2025 05:42:23 PM (IST)
HighLights
- सीबीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है
- POCSO कानून का उद्देश्य बच्चों को विशेष सुरक्षा देना
- उन्नाव की किशोरी से दुष्कर्म में सजा काट रहा है सेंगर
डिजिटल डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को राहत देने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने सेंगर को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया है।
यह आदेश उस याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया, जिसे सीबीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए दायर किया था। इस सुनवाई के दौरान 1997 के एक महत्वपूर्ण मामले 'एल.के. आडवाणी बनाम सीबीआई' का भी उल्लेख किया गया।
इसी आधार पर कोर्ट ने सेंगर को राहत दी थी
दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि POCSO अधिनियम के तहत सरकारी कर्मचारी की परिभाषा में विधायकों को स्पष्ट रूप से शामिल नहीं किया जा सकता। इसी आधार पर कोर्ट ने कुलदीप सेंगर को राहत दी थी। सीबीआई ने इस तर्क को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और इसे कानूनी रूप से गलत बताया।
सीबीआई ने अपनी याचिका में क्या कहा?
सीबीआई ने अपनी याचिका में कहा कि यदि विधायकों को भ्रष्टाचार जैसे गंभीर अपराधों के मामलों में सरकारी कर्मचारी माना जा सकता है, तो बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों से जुड़े मामलों में यह सिद्धांत समान या उससे भी अधिक सख्ती से लागू होना चाहिए।
एजेंसी का तर्क था कि POCSO कानून का उद्देश्य बच्चों को विशेष सुरक्षा देना है और यदि विधायकों को इसकी परिधि से बाहर कर दिया गया, तो कानून का मूल मकसद ही कमजोर पड़ जाएगा।
'एल.के. आडवाणी बनाम सीबीआई' मामले का उल्लेख
इसी संदर्भ में 1997 के 'एल.के. आडवाणी बनाम सीबीआई' मामले का उल्लेख किया गया। उस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि चुने हुए जनप्रतिनिधियों को भ्रष्टाचार निरोधक कानून के उद्देश्य से सरकारी कर्मचारी माना जा सकता है। सीबीआई ने इसी फैसले को मौजूदा मामले की कानूनी नींव बताया।
मौजूदा सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि इस मुद्दे पर विस्तृत सुनवाई आवश्यक है।
यह मामला वर्ष 2017 का है, जब उन्नाव की एक किशोरी ने कुलदीप सेंगर पर बलात्कार का आरोप लगाया था। उस समय सेंगर बांगरमऊ विधानसभा सीट से विधायक थे।