
Amit Shah on Detention centers: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इन आरोपों को खंडन किया है कि केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र में डिटेंशन सेंटर (Detention Centres) बनवाए हैं, जहां उन लोगों को रखा जाएगा, जो नागरिकता साबित नहीं कर पाएंगे। अमित शाह ने एक इंटरव्यू में कहा कि डिटेंशन सेंटर को लेकर कही जा रही बातें पूरी तरह निराधार हैं और मोदी सरकार के दौरान कोई डिटेंशन सेंटर नहीं बनाया गया है। इससे पहले महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र में अस्थायी डिटेंशन सेंटर के लिए जगह तलाशी थी।
बकौल अमित शाह, विदेशी नागरिकों के वीजा शर्तों के उल्लंघन या किसी अन्य नियम के उल्लंघन की स्थिति में उन्हें डिटेंशन सेंटर में रखे जाने का प्रावधान है। ऐसे विदेशी नागरिकों को वापस अपने देश भेजे जाने तक डिटेंशन सेंटर में रखा जाता है। इसके लिए देश के कुछ भागों में डिटेंशन सेंटर पहले से मौजूद हैं। ऐसे विदेशी नागरिकों को प्रत्यर्पण के पहले डिटेंशन सेंटर में रखे जाने का प्रावधान पूरी दुनिया में है। इसका एनआरसी से कोई लेना-देना नहीं है।
CAA के बाद पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले मुसलमानों को देश से बाहर निकालने की अफवाहों पर सरकार ने स्थिति साफ करते हुए कहा कि CAA का किसी भी विदेशी को भारत से बाहर भेजने से कोई लेना-देना नहीं है। किसी भी विदेशी नागरिक को देश से बाहर भेजने (चाहे वह किसी भी धर्म या देश का हो) की प्रक्रिया फॉरनर्स एक्ट 1946 और पासपोर्ट एक्ट 1920 के तहत की जाती है। ये दोनों कानून, सभी विदेशियों (चाहे वे किसी भी देश या धर्म के हों) को देश में प्रवेश करने, रिहाइश, भारत में घूमने-फिरने और देश से बाहर जाने की प्रक्रिया को देखते हैं। इसके तहत राज्य सरकारों और जिला प्रशासन के पास अधिकार होता है, जिससे वे गैरकानूनी रूप से रह रहे विदेशी की पहचान कर सकता है।