एजेंसी, देहरादून (Ankita Bhandari Murder Case)उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी मर्डर केस में कोर्ट का फैसला आ गया है, प्रकरण में आरोपित तीनों दोषियों पुल्कित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अंकिता के हत्यारों को सजा दिलवाने में उसके मित्र पुष्पदीप का अहम योगदान रहा है। हालांकि सजा मिलने के बाद भी आरोपितों के चेहरे पर अपने किए का कोई पछतावा नजर नहीं आया। इस घटना को लेकर लोगों में प्रशासन के खिलाफ काफी आकोश था। ऐसे में कोर्ट के फैसले का लोगों किया है।
कोर्ट ने अपने फैसले में दोषियों को सजा तो दे दी है, लेकिन अभी भी इस बात का खुलासा नहीं हो पाया है कि, वो कौन क्या एक्सट्रा सर्विस थी, जिसे लेकर पुल्कित आर्य और अंकिता के बीच झगड़ा हुआ था। कोर्ट के फैसले के बाद भी यह सवाल अभी तक बना हुआ हैं। वहीं आमजन रिजार्ट में आने वाले वीआईपी लोगों की जांच करने की भी मांग कर रहें हैं।
बता दें कि यह पूरा घटना क्रम करीब ढाई साल पुराना है। अंकिता भंडारी मुख्य दोषी पुल्कित आर्य के रिजार्ट वनतारा में रिसेप्शनिस्ट की नौकरी करती थी, जो कि 18 सितंबर 2022 को अचानक गायब हो गई। जिसके कुछ दिन बाद उसका शव ऋषिकेश के नहर से बरामद हुई थी। अंकिता गायब हो होने पहले लगातार अपने मित्र पुष्पदीप के संपर्क में थी, उसने अपने मित्र को बताया था कि, रिजार्ट का मालिक यानी पुल्कित आर्य उस पर किसी तरह का एक्सट्रा वीआईपी सर्विस देने का दबाव बना रहा है, जिसे लेकर उन दोनों के मध्य कुछ अनबन भी हुई है। अंकिता ने पुष्पदीप को किए अपने आखिरी मैसेज में किसी तरह की अनहोनी होने की आशंका जतायी थी।
इसीलिए इस पूरे प्रकरण में पुष्पदीप का बयान सबसे अधिक निर्णायक रहा। सबसे पहले अंकिता के लापता होने की जानकारी देने वाला शख्स भी यही था। इसके आलावा न्यायालय ने वंनतारा रिजार्ट के 4 अन्य कर्मचारियों के बयान पर भी विशेष ध्यान दिया है। हालांकि, इस मुकदमे में एसआईटी ने 97 गवाह बनाए थे , जिसमें से 47 अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत में पेश हुए थे।
विशेष लोक अभियोजक अवनीश नेगी ने बताया कि, इस पूरे मामले में मृतका के मित्र पुष्पदीप की गवाही अत्यंत निर्णायक साबित हुई। अंकिता लगातार पुष्पदीप के संपर्क में थी और अपने साथ घटित हो रहे हर मामले की जानकारी उसे दे रही थी। घटना से 4 दिन पहले पुष्पदीप अंकिता से मिलने के लिए रिजार्ट भी आया था। वह 16 सितंबर को वहां से वापस लौटा था। जिसके बात मुख्य अपराधी पुल्कित ने उसके कमरे की सफाई के दौरान मिले सामान को फेंकने के वजाए अपने पास रख लिया था। इसकी जानकारी रिजार्ट के एक कर्मी ने अपने बयान में दी थी। सामान को अपने पास रखना कही न कही पुल्कित की सोची-समझी शाजिश की ओर इशारा कर रहा है।
अदालत ने अपने निर्णय में इस बात का भी उल्लेख किया है कि पुष्पदीप के कमरे से निकले कचरे को पुल्कित ने अपने पास क्यों रखा है। लेकिन इस बारे में कोई स्पष्टिकरण नहीं दिया है। वहीं, पुष्पदीप ने अपने बयान में बताया है कि आखिरी हुई बातचीत मे अंकिता ने कह रही थी कि वह तीनों के बीच में फंस गई है और तीनों उसके साथ कुछ कर सकते हैं। जिसके बाद से उसका फोन बंद हो गया।
इन लोगों की गवाही महत्वपुर्ण
बता दें कि अदालत ने पुष्पदीप के अतिरिक्त रिजार्ट कर्मी अभिनव कश्यप, खुशराज, करन व सौरभ बिष्ट की गवाही को भी अहम माना है। उन्होंने अपने बयान में अंकिता और पुल्कित के झगड़ें की बात कही थी, साथ ही यह भी बताया था कि अंकिता तीनों दोषियों के साथ बाहर गई थी, लेकिन वापस नहीं लौटी।
बता दें कि अदालत में अभियोजन पक्ष की गवाही 55 दिन तक चली। गवाही 28 मार्च 2023 से शुरू होकर 29 नवंबर 2024 तक अलग-अलग दिन हुई। इस दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से 23 अन्य गवाह कोर्ट में पेश किए गए। मामले में अंकिता के माता-पिता भाई के साथ-साथ पुलिसकर्मियों और चिकित्सकों की भी गवाही ली गई। वहीं बचाव पक्ष की ओर से भी 4 गवाह प्रस्तुत किया गया है।
आजीवन कारावास की सजा के बाद भी नहीं पछतावा
अदालत ने 30 मई को मामले की सुनवाई करते हुए तीनों दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है, लेकिन अदालत से बाहर निकलते हुए तीनों में से किसी के भी चेहरे पर कोई पछतावा नजर नहीं आ रहा था। उन्हें देखकर एक बार भी ऐसा नहीं लगा कि उनको अपने किए का पछतावा है। बल्कि ऐसा लग रहा था, जैसे कोई फर्क ही न पड़ा हो। अपराधी सौरभ भाष्कर ने तो पुलिस वाहन में बैठते समय लोगों की ओर देखते हुए हाथ हिलाकर अभिवादन भी किया। अपराधी अकड़ में और हंसते-मुस्कराते दिखे।
मुख्य अपराधी के परिवार पर सरकारों की रही है विशेष कृपा
बता दें कि अंकिता भंडारी हत्या मामले में मुख्य अपराधी पुल्कित आर्य का परिवार क्षेत्र में राजनीतिक प्रभुत्व रखता था, यही कारण रहा की प्रशासन की ओर से मामले को दबाने की भरशक कोशिश की गई थी। अपराधी पुल्कित आर्य के पिता और भाई पर भाजपा की बड़ी कृपा रही है। अपराधी के पिता डॉ. विनोद आर्य का नाम क्षेत्र के बड़े राजनेताओं में लिया जाता रहा है। भाजपा सरकार के दौरान उन्हें पहली बार वर्ष 2012 में माटी कला बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाया गया था। 2017 में भी उन्हें पशुपालन बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाकर बड़ी जिम्मेदारी दी गई थी।
भाजपा ने छीन लिए पद
वहीं अपराधी का बड़ा भाई भी उत्तराखण्ड ओबीसी आयोग का उपाध्यक्ष था। हालांकि, हत्या प्रकरण में पुल्कित आर्य का नाम आने और वनतारा का नाम मामले से जुड़ने के बाद भाजपा ने इन लोगों से किनारा कर लिया। हत्या कांड के बाद लोगों के आक्रोश को देखते हुए भाजपा ने डॉ. विनोद आर्य और अंकित आर्य से उनके पद आपस ले लिए । साथ ही उसके बाद से वे दोनों राजनीतिक मंचों और सामाजिक कार्यक्रमों में भी नजर नहीं आए। वहीं, हरिद्वार क्षेत्र में भी लोगों में इस परिवार के खिलाफ आक्रोश है।