चंडीगढ़। डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं। पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट ने गुरमीत की जमानत याचिका खारिज कर दी है। CBI द्वारा कानून-व्यवस्था बिगड़ने की आशंका जताने के बाद डेरा मुखी ने याचिका वापस ले ली, जिसके बाद जस्टिस दया चौधरी और जस्टिस सुधीर मित्तल की बेंच ने इसे खारिज कर दिया। साध्वी यौन शोषण मामले में सुनारिया जेल में बंद गुरमीत ने 10 मई को अपनी दत्तक पुत्री गुरंश के विवाह में शामिल होने के लिए चार सप्ताह के लिए प्रोविजनल जमानत मांगी थी।
याचिका में डेरा प्रमुख ने अपनी सजा को निलंबित किए जाने के साथ अंतरिम जमानत की मांग की थी। CBI ने डेरा प्रमुख द्वारा गुरंश को गोद लिए जाने के दावे पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि सिरसा चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा कोई दस्तावेज मौजूद नहीं है जिससे गुरंश को डेरा प्रमुख द्वारा गोद लिए जाने की बात साबित हो।
अगर डेरा प्रमुख के गुरंश के दत्तक पिता होने की बात को स्वीकार भी कर लिया जाए तो भी इस विवाह के लिए उसकी उपस्थिति जरूरी नहीं है, क्योंकि इस विवाह के आमंत्रण पत्र बांटे जा चुके हैं और अन्य सभी तैयारियां भी की जा चुकीं हैं।
डेरा प्रमुख को खतरनाक अपराधी बताते हुए गोयल ने कहा कि उसे दुष्कर्म और हत्या के मामले में सजा सुनाई जा चुकी है और हत्या के एक अन्य मामले में भी ट्रायल अंतिम चरण में है। डेरे में साधुओं को नपुंसक बनाए जाने के मामले में भी गुरमीत आरोपों में घिरा है। आपराधिक पृष्ठभूमि के मद्देनजर उसे जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता।
सुनवाई के दौरान एडवोकेट मोहिंदर जोशी ने कोर्ट को बताया कि प्रथा के अनुसार डेरे में विवाह बड़े ही साधारण ढंग से किया जाता है और उसमें कन्यादान नहीं किया जाता, बल्कि वर-वधू हार बदल कर विवाह संपन्न करते हैं। जस्टिस दया चौधरी ने अपनी मौखिक टिप्पणी में कहा कि हाई कोर्ट के आधे से ज्यादा वकील पंचकूला में हुई हिंसा से प्रभावित हुए थे। जस्टिस सुधीर मित्तल ने अदालत में कहा कि वे स्वयं उस दौरान कष्ट झेलने वालों में शामिल थे।
हाई कोर्ट का रुख सख्त होता देख डेरा प्रमुख के वकील ने याचिका वापस लिए जाने पर अदालत ने इसे खारिज कर दिया।