
डिजिटल डेस्क। बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2025) में RJD की करारी हार के बाद लालू परिवार में मची उथल-पुथल अब खुलकर सामने आ रही है। 25 सीटों पर सिमट चुकी पार्टी में सबसे बड़ा झटका तब लगा, जब तेजस्वी यादव की बहन रोहिणी आचार्य ने अचानक सोशल मीडिया पर राजनीति और परिवार से दूरी बनाने का ऐलान कर दिया। रोहिणी के इस कदम ने RJD के भीतर पुराने घाव ताजा कर दिए और सवाल उठने लगे कि आखिर संगठन में इतनी दरार क्यों।
सबकी निगाहें एक नाम पर जाकर टिक गईं, संजय यादव। वही संजय यादव, जिन्हें तेजस्वी का सबसे करीबी, सलाहकार और 'रणनीति का मास्टरमाइंड' कहा जाता है। लेकिन चुनाव परिणामों के बाद वही संजय यादव अब परिवार और पार्टी दोनों के निशाने पर हैं।

संजय यादव हरियाणा के महेंद्रगढ़ के रहने वाले हैं। कंप्यूटर साइंस और MBA की पढ़ाई के बाद वे एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे। दिल्ली में संजय और तेजस्वी की दोस्ती शुरू हुई, कहा जाता है कि दोनों ने क्रिकेट भी साथ खेला।
2012 के बाद संजय की RJD में मौजूदगी लगातार बढ़ती गई और फिर तेजस्वी ने उन्हें फुल-टाइम राजनीति में लाने का फैसला किया। 2015 से लेकर 2024 में राज्यसभा सदस्य बनने तक वे तेजस्वी की रणनीति, भाषणों और मीडिया मैनेजमेंट का अहम हिस्सा बने रहे।

चुनाव में संजय की भूमिका और भी ताकतवर दिखी, सीट बंटवारे से लेकर चुनावी मुद्दों तक हर निर्णय में उनकी मौजूदगी थी। कई नेताओं ने इन्हीं दखलंदाजियों को हार का कारण बताया। तेज प्रताप तो शुरू से ही संजय को ‘जयचंद’ तक कह चुके हैं। अब रोहिणी आचार्य का अचानक परिवार से नाता तोड़ने वाला पोस्ट इस नाराजगी को और गहरा कर गया।
.png)
रोहिणी ने लिखा, 'मैं राजनीति छोड़ रही हूं और अपने परिवार से नाता तोड़ रही हूं। संजय यादव और रमीज ने मुझसे ऐसा करने के लिए कहा था। मैं सारा दोष अपने ऊपर ले रही हूं।'
इस बयान ने RJD की राजनीति को हिला दिया। सोशल मीडिया पर बहस शुरू हो गई है कि क्या RJD की हार की असली वजह रणनीति नहीं, बल्कि परिवार और नेतृत्व के बीच अंदरूनी खींचतान है।
तेज प्रताप पहले ही पार्टी छोड़ अपनी अलग राह पकड़ चुके हैं। रोहिणी के कदम के बाद अब सवाल यह है कि क्या RJD में नेतृत्व को लेकर भ्रम बढ़ चुका है। क्या संजय यादव की बढ़ती ताकत वाकई लालू परिवार में फूट की वजह है या यह हार पार्टी के भीतर दबे हुए असंतोष को बाहर ले आई है।