विकास चंद्र पांडेय, पटना। चुनावी महासमर का आरंभ इस बार कांग्रेस के लिए दूसरे चरण से हो रहा है। भागलपुर एवं बांका के अलावा तीन अन्य संसदीय क्षेत्र किशनगंज, पूर्णिया व कटिहार पर इस चरण में वोटिंग होगी। किशनगंज व कटिहार मुस्लिम बहुत क्षेत्र है। यहां अजा एवं सवर्ण के साथ ही मुस्लिम कांग्रेस के परंपरागत वोटर रहे हैं। पिछले चुनाव में महागठबंधन को एकमात्र किशनगंज में कामयाबी मिली थी। गत तीन चुनाव से इस सीट पर कांग्रेस को मिलती रही है। इसलिए इस बार साख को बचाए रखना भी चुनौती है। जेडीयू से राजग के एकमात्र मुसिलम उम्मीदवाद हैं मुजाहिद आलम, उनकी भी किस्मत का फैसला हो जाएगा।
किशनगंज : यहां कांग्रेस पिछले तीन चुनाव जीत चुकी है। इस बार आइएमआइएम की पैठ से त्रिकोणीय संघर्ष बन रहा है।
कटिहार : 2014 में यहां कांग्रेस की आखिरी जीत हुई थी। तारिक अनवर यहां गत चुनाव में जदयू से हार गए थे।
भागलपुर : कांग्रेस को महागठबंधन में यह सीट पहली बार मिली है। वर्ष 1984 में यहां अंतिम जीत हुई थी।
कटिहार में सांसद जावेद फिर से चुनावी मैदान में हैं, वे तीन बार के विधायक हैं। इसके जवाब में अब जदयू ने मुजाहिद आलम को उम्मीदवार बनाया है। वे राजग के एकमात्र मुसलमान उम्मीदवार हैं। यहां त्रिकोणीय मुकाबला है क्येांकि अब एआईएमआईएम के विधायक अख्तरूल ईमान भी मैदान में हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में किशनगंज जिले के चार विधानसभा क्षेत्रों से दो पर AIMIM जीता था। एक सीट कांग्रेस को मिली थी। जब जावेद सांसद बने थे तब किशनगंज विधानसभा उप चुनाव में कांग्रेस ने उनकी अम्मी मां सइदा बानो को आजमाया था। हालांकि वो AIMIM के कमरूल होदा से हार चुकी थीं। 2020 में कांग्रेस फिर से इस सीट पर जीत गई थी।
कांग्रेस को महागठबंधन में भागलपुर सीट पहली बार मिली है, इसलिए यहां दम दिखाने की भी चुनौती है। पहले यह भागवत झा आजाद की सीट थी। वे 1984 में आखिरी बार यहां जीते थे। यह भागलपुर में कांग्रेस की आखिरी जीत थी। कांग्रसे ने 2009 में यहां आखिरी बार चुनाव लड़ा था। सदानंद सिंह यहां 52121 वोट पाकर चौथे क्रम पर रहे थे। इस बार यहां विधायक अजीत शर्मा उम्मीदवार हैं। दूसरी तरफ जदूय के सांसद अजय मंडल हैं। राजद की भी अच्छी पैठ बनी हुई है।