डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव (Bihar Vidhan Sabha Chunav 2025) को लेकर एनडीए और महागठबंधन दोनों ही गठबंधनों में सीट बंटवारे और टिकट वितरण को लेकर विवाद बढ़ गया है। रविवार को सूर्यगढ़ा के स्थानीय कार्यकर्ता सम्मेलन में यह विवाद खुले रूप में सामने आया।
शनिवार को कमला पेट्रोल पंप के समीप राजग कार्यकर्ताओं के विधानसभा स्तरीय सम्मेलन में अचानक हंगामा हो गया। जदयू के वरिष्ठ स्थानीय नेता सुरेंद्र महतो ने सम्मेलन के दौरान कहा कि सूर्यगढ़ा का विकास केवल स्थानीय विधायक की मदद से संभव है और आगामी चुनाव में स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को ही टिकट दिया जाना चाहिए।
उनकी इस मांग पर मंच पर मौजूद जदयू प्रदेश सचिव प्रवीण कुमार ने आपत्ति जताई और ऐसे बयान न देने को कहा। इसके बाद मंच पर दोनों पक्षों के समर्थकों के बीच बहस और अफरातफरी बढ़ गई। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री जनक राम इस पूरी स्थिति को देखते रहे।
जदयू जिला अध्यक्ष रामानंद मंडल ने हस्तक्षेप कर स्थिति को नियंत्रण में लाया। इसके बावजूद सुरेंद्र महतो को मंच से हटाया गया, जिससे उनके समर्थक कार्यकर्ताओं में नाराजगी बढ़ गई। यह घटना सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र के राजनीतिक तापमान को और बढ़ा रही है। यह क्षेत्र केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह का संसदीय क्षेत्र है।
कटिहार के बलिया बेलोन थाना क्षेत्र के कोर्रा में भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में हंगामा हुआ। स्थानीय विधायक शकील अहमद खान के विरोध में करीब 20-25 लोगों ने बाइक से पहुंचकर नारेबाजी की और काले झंडे दिखाए।
इससे पूर्व भी राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के कार्यक्रम में कुछ लोगों ने हाथ में तख्ती लेकर शकील अहमद खान का विरोध किया था। उनका कहना था कि स्थानीय नेता को ही टिकट दिया जाना चाहिए। शकील अहमद खान ने इसे विपक्ष का षड्यंत्र बताया और कहा कि क्षेत्र की जनता उनके साथ है। कांग्रेस प्रखंड अध्यक्ष अंसार काजमी ने भी इसे षड्यंत्र करार दिया।
सूर्यगढ़ा और कटिहार की घटनाओं से गठबंधन के भीतर मतभेद स्पष्ट हो गए हैं। स्थानीय नेताओं की टिकट की मांग और विरोध से गठबंधन को आगामी चुनाव में सीट बंटवारे और रणनीति पर असर पड़ सकता है। इससे कार्यकर्ता स्तर पर असंतोष बढ़ने और चुनावी माहौल तनावपूर्ण होने की संभावना जताई जा रही है।
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