लखनऊ Bikru scandal। कानपुर के बहुचर्चित बिकरू कांड में जांच आयोग ने उत्तर प्रदेश पुलिस को क्लीन चिट दे दी है। बिकरू कांड की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया गया था, जिसने गैंगस्टर विकास दुबे को मुठभेड़ में मार गिराने वाली पुलिस टीम को क्लीन चिट दे दी है। सुप्रीम कोर्ट के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ. बीएस चौहान की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग का गठन किया गया था। इस जांच आयोग ने रिपोर्ट में स्वीकार किया कि विकास दुबे और उसके गैंग को स्थानीय पुलिस के अलावा जिले के राजस्व एवं प्रशासनिक अधिकारियों का संरक्षण हासिल था। विकास को अपने घर पर पुलिस छापे की जानकारी स्थानीय चौबेपुर थाने से पहले ही मिल गई थी।
जांच रिपोर्ट विधानसभा में पेश
न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट को योगी आदित्यनाथ सरकार ने गुरुवार को विधानसभा में पेश कर दी। गौरतलब है कि बिकरू गांव में 2 और 3 जुलाई 2020 को 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में शामिल अभियुक्तों के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने की घटनाओं की जांच के लिए यह न्यायिक आयोग गठित किया गया था। इस न्यायिक जांच आयोग में हाईकोर्ट के अवकाश प्राप्त न्यायमूर्ति शशिकांत अग्रवाल और पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता भी सदस्य थे।
जांच आयोग ने 132 पेज की रिपोर्ट सौंपी
न्यायिक जांच आयोग ने 132 पेजों की रिपोर्ट में कई अहम सिफारिशें भी की है। रिपोर्ट के साथ 665 पृष्ठों की तथ्यात्मक सामग्री भी राज्य सरकार को सौंपी है। आयोग ने कहा है कि पुलिस के पक्ष और घटना से संबंधित साक्ष्यों का खंडन करने के लिए जनता या मीडिया की तरफ से कोई भी आगे नहीं आया। मृतक विकास दुबे की पत्नी रिचा दुबे ने पुलिस एनकाउंटर को फर्जी बताया था और लेकिन जांच आयोग के सामने उपस्थिति नहीं हुई थी। जांच आयोग ने कहा कि ऐसे में पुलिस के पक्ष पर संदेह नहीं किया जा सकता है। मजिस्ट्रेटी जांच में भी ऐसे ही निष्कर्ष सामने आए थे।