Birthday Special: हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद का जन्म आज के दिन ही साल 1905 में हुआ था। ध्यानचंद को हॉकी के महारथी तो थे ही, लेकिन देशप्रेम की भावना भी उनके अंदर कूट-कूट कर भरी थी। शायद आज भी भारतवासी उनके साथ न्याय नहीं कर पाए हैं। देश का सबसे बड़ा खेल सम्मान अब उनके नाम पर होगा। यह सभी के लिए गर्व की बात है, लेकिन ध्यानचंद ने जो उस दौर में किया था। आज उसके बारे में सोचना भी मुश्किल है।
मेजर ध्यानचंद के जन्मदिवस को खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा "कितने ही पदक क्यों न मिल जाएं, लेकिन जब तक हॉकी में पदक नहीं मिलता भारत का कोई भी नागरिक विजय का आनंद नहीं ले सकता है और इस बार ओलंपिक में हॉकी का पदक मिला, चार दशक के बाद मिला। आप कल्पना कर सकते हैं मेजर ध्यानचंद जी के दिल पर, उनकी आत्मा पर, वो जहां होंगे, वहां कितनी प्रसन्नता होती होगी।"
Every medal is special.
When India won a Medal in Hockey, the nation rejoiced. And, Major Dhyan Chand Ji would have been so happy. #MannKiBaat pic.twitter.com/0pjtzwA11d
— PMO India (@PMOIndia) August 29, 2021
हिटलर की टीम को दी मात
ध्यानचंद ने उस समय जर्मनी की टीम को बुरी तरह हराया था, जब हिटलर का राज हुआ करता था। अपनी टीम की करारी हार देखकर हिटलर को गुस्सा तो बहुत आया, पर वह भी ध्यानचंद का दीवाना हो गया। उसने ध्यानचंद को बुलाकर जर्मनी के लिए खेलने का ऑफर दिया। साथ में कर्नल के पद की सौगात भी थी, लेकिन हॉकी के जादूगर ने यह ऑफर ठुकरा दिया।
देश से बढ़कर कुछ नहीं
जब ध्यानचंद को हिटलर ने बुलाया था, उस समय उसके गुस्से और क्रूरता के किस्से सबने सुन रखे थे। ध्यानचंद को यह बात पता थी कि मना करने पर हिटलर उनकी हत्या भी करवा सकता था, लेकिन वो डरे नहीं। भारत के लिए खेलते समय उनके पास जूतों का भी आभाव हुआ करता था, बाकी सुख सुविधाएं तो दूर की बात हैं, लेकिन उन्होंने यह तय किया था कि उनकी हॉकी से गोल होगा तो सिर्फ भारत के लिए। हिटलर की बात मानने पर उनके पास अच्छा खासा पैसा होता और वो ऐशो आराम की जिंदगी जीते, लेकिन उनके लिए देशप्रेम से बढ़कर कुछ नहीं था।
खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है यह दिन
ध्यानचंद ने अपने खेल से भारत को ओलंपिक खेलों की हॉकी स्पर्धा में स्वर्णिम सफलता दिलाई और परंपरागत एशियाई हॉकी में भारत का दबदबा कायम किया। विपक्षी खिलाड़ियों के कब्जे से गेंद छीनकर बिजली की तेजी से दौड़ने वाले ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को हुआ था। उनके जन्मदिन को देश में राष्ट्रीय खेल दिवस के तौर पर मनाया जाता है और खेलों के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले खिलाड़ियों को विभिन्न पुरस्कार दिए जाते हैं
Koo Appएक अफवाह थी कि हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यान चंद की स्टिक में चुम्बक है। यहाँ तक कि उनकी स्टिक तोड़ कर इसकी जाँच की गई। उनका गेंद पर नियंत्रण इतना अकल्पनीय था। मेजर ध्यान चंद की जन्मतिथि एवं राष्ट्रीय खेल दिवस की शुभकामनाएँ। #NationalSportsDay #Dhyanchand- General V K Singh (@genvksingh) 29 Aug 2022
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Koo Appदेश के प्रति अपने समर्पण से नई उपलब्धियां हासिल कर समूचे विश्व में भारतीय हॉकी को पहचान दिलाने वाले मेजर ध्यानचंद जी की जयंती पर नमन। उनके सम्मान में मनाए जाने वाले राष्ट्रीय खेल दिवस की सभी खिलाड़ियों व खेल प्रेमियों को शुभकामनाएं। उनका जीवन सभी भारतीयों के लिए प्रेरणीय है।- Piyush Goyal (@piyushgoyal) 29 Aug 2022