मल्टीमीडिया डेस्क। आमतौर पर इन्सान नाक से सांस लेता है। मेहनत वाला काम या भागदौड़ करते वक्त जरूर हम मुंह से सांस लेते हैं, क्योंकि शरीर को ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत होती है, लेकिन कई लोग ऐसे भी होते हैं जो सामान्य स्थिति से भी मुंह से सांस लेते हैं। इसको नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है, क्योंकि यह शरीर में कई अनियमितताओं की ओर संकेत करती है। जानिए इसी बारे में -
डॉक्टरों के मुताबिक, सेहतमंद लोग नाक और मुंह, दोनों से सांस लेते हैं। सामान्य अवस्था में मुंह से सांस लेना तब जरूरी हो जाता है जब नाक बंद हो जाए। सर्दी-जुकाम के मौसम में नाक बंद होना स्वाभाविक है, लेकिन हमेशा ऐसी स्थिति बनी रहती है तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। कई लोग सोते समय मुंह से सांस लेते हैं। ये अच्छी सेहत की निशानियां नहीं हैं।
मुंह से सांस लेने वाले बच्चों के दांत सीधे नहीं आते हैं। उनके चेहरे पर सूजन रहती है और उनका विकास पर असर पड़ता है। मुंह से सांस लेने वाले वयस्कों में सांस की बदबू के साथ ही गले और पेट संबंधी बीमारियां घर सकती हैं।
शरीर मुंह से सांस क्यों लेता है (Mouth Breathing Reasons)
जब नाक से सांस लेने की प्रक्रिया में बाधा पैदा होती है तो शरीर अपने आप मुंह से सांस लेना शुरू कर देता है। ऐसा होने के कई कारण हो सकते हैं। जैसे -
कैसे पता चलेगा कि मैं मुंह से सांस ले रहा हूं (How do I know if I am breathing through my mouth?)
हो सकता है कि कोई नाक के बजाए मुंह से सांस ले रहा हो और उसे पता भी नहीं चले। खासतौर पर नींद में ऐसी स्थिति बनती है। मुंह से सांस लेने वालों में ये symptoms होते हैं :
मुंह से सांस लेने के जोखिम
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मुंह से सांस लेना कैसे रोका जा सकता है (Mouth Breathing Treatments)
यदि कोई मुंह या नाक की विकृति के कारण मुंह से सांस ले रहा है तो इसे कभी नहीं रोका जा सकता है। यदि एलर्जी या इन्फेक्शन का कारण नाक बंद हो रहा है और मुंह से सांस लेना पड़ रही है तो इसका इलाज संभव है।एलर्जी या सर्दी के लक्षणों को पहले से भांपकर डॉक्टर से इलाज करवाए। बाजार में कई तरह के स्प्रे उपलब्ध हैं।
इसलिए जरूरी है नाम से सांस लेना
नाक से सांस लेने से शरीक को नाइट्रिक ऑक्साइड मिलती है। इसे फेंफड़ों से ठीक से काम करने और ऑक्सीजन ग्रहण करने में मदद मिलती है। नाइट्रिक ऑक्साइड का काम होता है ऑक्सीजन को शरीर के जरूरी हिस्से तक पहुंचाना। नाइट्रिक ऑक्साइड एंटीफंगल, एंटी वायरल और एंटी बैक्टीरियल होती है। यानी इससे बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
नाक एक तरह से फिल्टर का काम करती है और हवा में मौजूद छोटे कणों को फेफड़ों तक जाने से रोकती है। नाम से सांस लेते हैं तो फेफड़ों और श्वास नली में नमी (moisture) जाती है यानी सूखेपन (dryness) की समस्या नहीं होती है। ठंड के मौसम में नाक से सांस लेना इस तरह फायदेमंद होता है कि फेफडों तक पहुंचते-पहुंचते हवा गर्म हो जाती है।
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