पति के शक से हैं परेशान, क्या यह बनेगा तलाक का आधार, महिलाएं जानें क्या कहता है कानून
केरल हाईकोर्ट ने फैसला दिया कि अगर पति अपनी पत्नी पर लगातार शक करता है, उसकी आजादी में दखल देता है या उसके चरित्र पर सवाल उठाता है, तो यह मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है। ऐसे मामलों में पत्नी तलाक मांग सकती है। अदालत ने इसे वैवाहिक स्वतंत्रता के खिलाफ बताया।
Publish Date: Sun, 02 Nov 2025 02:32:22 PM (IST)
Updated Date: Sun, 02 Nov 2025 02:50:17 PM (IST)
भारत में बढ़ रहे हैं तलाक के मामले।HighLights
- पति का लगातार शक मानसिक क्रूरता माना जाएगा।
- पत्नी इस आधार पर तलाक मांग सकती है।
- हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट का फैसला पलटा।
डिजिटल डेस्क। भारत में तलाक के मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। कई बार इनकी वजह आपसी मतभेद या किसी एक साथी का अफेयर होता है, लेकिन हाल ही में केरल हाईकोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया है जिसने वैवाहिक रिश्तों को लेकर नई बहस छेड़ दी है।
अदालत ने कहा है कि अगर पति अपनी पत्नी पर लगातार शक करता है, उसकी आजादी में हस्तक्षेप करता है या उसकी गतिविधियों पर नजर रखता है, तो यह गंभीर मानसिक क्रूरता (Mental Cruelty) के दायरे में आता है।
क्या था पूरा मामला?
- यह मामला केरल के कोट्टायम जिले का है, जहां एक महिला ने अपने पति के खिलाफ तलाक की अर्जी दाखिल की। महिला ने बताया कि उसकी शादी 2013 में हुई थी और एक बेटी भी है। शादी के शुरुआती दिनों से ही पति उस पर शक करने लगा। वह किसी पुरुष से बात करती तो पति मारपीट करता। पति ने शक के कारण उसको नर्सिंग की नौकरी छोड़ने के लिए भी मजबूर कर दिया।
महिला ने आगे बताया कि दोनों विदेश गए तो पति का व्यवहार और खराब हो गया। वह अक्सर पत्नी को कमरे में बंद कर देता था, फोन पर बात करने से रोकता था और कई बार मारपीट भी करता था। महिला ने इसे अपनी स्वतंत्रता और मानसिक शांति पर हमला बताया। हाईकोर्ट ने पलटा फैमिली कोर्ट का फैसला
- महिला की अर्जी पहले फैमिली कोर्ट ने खारिज कर दी थी। उसके बाद महिला ने हाईकोर्ट में अपील की। केरल हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट का फैसला पलटते हुए कहा कि एक शक्की पति शादीशुदा जिंदगी को नर्क बना सकता है।
न्यायालय ने यह भी कहा कि विवाह भरोसे पर टिका होता है और जब विश्वास की जगह शक ले लेता है, तो रिश्ता टिक नहीं सकता। लगातार शक करना, स्वतंत्रता में दखल देना और पत्नी की ईमानदारी पर सवाल उठाना मानसिक उत्पीड़न के बराबर है। क्या कहता है कानून?
- हाईकोर्ट ने अपने आदेश में तलाक अधिनियम 1869 की धारा 10(1)(x) का हवाला दिया। इस धारा के तहत अगर पति का व्यवहार मानसिक क्रूरता के दायरे में आता है, तो पत्नी को तलाक का अधिकार है।
- यह फैसला उन सभी मामलों के लिए मिसाल बन गया है, जहां रिश्तों में शक ने भरोसे की जगह ले ली है। अदालत ने स्पष्ट किया कि शक से भरा रिश्ता, प्रेम से खाली विवाह है और ऐसे विवाह का अंत होना ही न्यायसंगत है।