Chacha Bhatija Political Crisis: महाराष्ट्र में राजनीतिक घटनाक्रम इस समय काफी रोमांचक हो गया है। एनसीपी नेता अजित पवार शिंदे सरकार में शामिल होने का फैसला किया है। इस बगावत के बाद अजित को डिप्टी सीएम नियुक्त किया गया है। अजित पवार और उनके समर्थकों का दावा है कि एनसीपी के अधिकांश विधायक उनके साथ हैं। हालांकि अब देखना होगा कि आगे क्या होगा। बता दें चाचा-भतीजे की तकरार राजनीति में नई नहीं है। इससे पहले भी देखा जा चुका है। राजनीति में पहले भी परिवार के मतभेद सामने आ चुके हैं। सत्ता की महत्वाकांक्षा कई बार चाचा-भतीजे के बीच मनमुटाव का कारण बनी है। आइए ऐसी ही कुछ सियासी घटनाओं के बारे में जानते हैं।
बिहार में लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष राम विलास पासवान के देहांत के बाद चाचा-भतीजे में विवाद सामने आया था। राम विलास के भाई पशुपति और बेटे चिराग पासवान आमने-सामने आ गए थे। पशुपति कुमार पारस ने खुद को पार्टी का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था, जबकि चिराग भी अपना दावा ठोक रहे थे। विवाद चुनाव आयोग तक पहुंच गया। इलेक्शन कमीशन ने पार्टी के दो टुकड़े कर दिया। अब चिराग की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) है।
चाचा-भतीजे का ऐसा ही विवाद समाजवादी पार्टी में देखने को मिला था। मुलायम सिंह यादव ने 2012 में पार्टी चुनाव जीती तो उन्होंने अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाया। 2015 तक सब कुछ ठीक था। जब पार्टी की कमान सौंपने की बारी आई तो यादव परिवार में कड़वाहट बढ़ने लगी। मुलायम के छोटे भाई शिवपाल यादव ने दावा ठोक दिया। हालांकि अखिलेश यादव के सामने चाचा टिक नहीं सके। आखिर में मुलायम सिंह ने पार्टी की कमान अपने बेटे को सौंप दी। इससे नाराज होकर शिवपाल ने अपनी पार्टी समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बना लिया, लेकिन मुलायम सिंह ने आगे जाकर चाचा-भतीजे के बीच सुलह करा दिया। अब दोनों साथ हैं।
पंजाब के कद्दावर नेता प्रकाश सिंह बादल और उनके भतीजे मनप्रीत सिंह बादल के बीच टकराहट थी। मुख्यमंत्री का पद दोनों के रिश्ते के आगे बड़ा पड़ गया। मनप्रीत प्रकाश सिंह के बाद खुद को अगला सीएम पद का दावेदार मान रहे थे। इसी बीच उन्हें भनक लगी कि चाचा पार्टी की कमान सुखबीर सिंह बादल को देने वाले हैं। यहीं से दोनों के बीच दूरियां बढ़ना शुरू हुई। प्रकाश सिंह बादल अपने बेटे का राजनीतिक करियर बनाने में जुटे थे। 2010 में मनप्रीत सिंह बादल ने पार्टी से अलग हो गए। फिलहाल भाजपा में हैं।